अमेरिका ने तुर्किये से स्वीडन की नाटो सदस्यता की जल्द पुष्टि करने को कहा

अमेरिका ने शुक्रवार को तुर्किये के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन की उस घोषणा का स्वागत किया जिसमें उन्होंने देश की संसद में फिनलैंड की नाटो सदस्यता की पुष्टि करने की प्रक्रिया शुरू करने लेकर कहा है। इसके अलावा तुर्की को सैन्य गठबंधन में स्वीडन के प्रवेश की शीघ्र पुष्टि करने के लिए भी अमेरिका ने प्रोत्साहित किया।

व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा, ‘स्वीडन और फिनलैंड दोनों मजबूत, सक्षम भागीदार हैं जो नाटो के मूल्यों को साझा करते हैं और गठबंधन को मजबूत करेंगे और यूरोपीय सुरक्षा में योगदान देंगे।’ अमेरिका का मानना है कि दोनों देशों को जल्द से जल्द नाटो का सदस्य बनना चाहिए।

फिनलैंड को तुर्किये की तरफ से मिल गई हरी झंडी
रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का अभी कोई परिणाम सामने नहीं नजर आ रहा है। इस बीच फिनलैंड जल्द ही नाटो की सदस्यता प्राप्त कर लेगा। इसके लिए तुर्किये के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन ने अपनी सहमति दे दी है और फिनलैंड का नाटो सदस्यता आवेदन स्वीकार कर लिया।

बता दें कि एर्दोगन की स्वीकृति के बिना, फिनलैंड इसमें शामिल नहीं हो पाएगा क्योंकि नाटो देशों को सर्वसम्मति से नए सदस्यों पर सहमत होना चाहिए। वहीं  फिनलैंड के राष्ट्रपति सौली निनिस्तो ने फिनलैंड की नाटो सदस्यता के आवेदन की प्रक्रिया शुरू करने के फैसले का स्वागत किया।

एर्दोगन ने निनिस्टो के साथ बैठक के बाद मीडियाकर्मियों से कहा कि हमने अपनी संसद में नाटो में फिनलैंड की परिग्रहण प्रक्रिया की पुष्टि शुरू करने का फैसला किया है। निनिस्टो ने कहा कि उन्होंने इस फैसले का स्वागत किया और इसे फिनलैंड के लिए बहुत महत्वपूर्ण कहा, फिनलैंड रूस के साथ लंबी सीमा साझा करता है।

रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के जवाब में, स्वीडन और फिनलैंड ने नाटो समझौते में शामिल होने के लिए पिछले साल आवेदन किया लेकिन तुर्किये से अप्रत्याशित आपत्तियों का सामना करना पड़ा। अंकारा का कहना है कि स्टॉकहोम आतंकवादी समूहों के सदस्यों को शरण देता है, इस आरोप से स्वीडन इनकार करता है।

दोनों देश लंबे समय से नाटो की सदस्यता की कोशिश कर रहे
उल्लेखनीय है कि स्वीडन और फिनलैंड लंबे समय से नाटो का सदस्य बनने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि तुर्किए की आपत्ति के चलते स्वीडन का यह सपना पूरा नहीं हो पा रहा है। नाटो का सदस्य बनने के लिए इसके सभी सदस्य देशों की मंजूरी जरूरी होती है। यही वजह है कि तुर्किए की वजह से स्वीडन नाटो का सदस्य नहीं बन पा रहा है। तुर्किए के खिलाफ कुर्दिस्तान वर्किंग पार्टी अलग देश की मांग को लेकर संघर्ष छेड़े हुए है।

तुर्किए का आरोप है कि स्वीडन की सरकार कुर्दिस्तान वर्किंग पार्टी का समर्थन करती है। साथ ही तुर्किए की मांग है कि राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के आलोचकों को स्वीडन की सरकार निर्वासित करे। हालांकि स्वीडन अपनी संप्रभुता और बोलने की आजादी के अधिकार के चलते तुर्किए की इन मांगों को नहीं मान रहा है। यही वजह है कि तुर्किए, स्वीडन के नाटो का सदस्य बनने की राह में रोड़ा बन रहा है।

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