आर.के. सिन्हा
निश्चित रूप से मोदी सरकार के साल 2020-21 के आम बजट की गहन समीक्षा करने के बाद कोई भी तटस्थ अर्थशास्त्री भी मानेगा कि इस बजट का मोटा–मोटी फोकस देश में ज्यादा से ज्यादा नौकरियों को सृजित करने पर रहा है। यही समय की मांग भी थी। सारे देश को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से पूरी उम्मीद भी यही थी कि उनके बजट प्रस्तावों में नौकरियों को सृजित करने वाली योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। निर्मला सीतारमण के बजट प्रस्तावों से शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य, पर्यटन आदि क्षेत्रों में लाखों नौकरियां आएंगी। उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा भी कि अब शिक्षा और नर्सिंग के क्षेत्र में सबसे ज्यादा नौकरियां आएंगी। इसमें कोई शक ही नहीं है कि हेल्थ सेक्टर लाखों लोगों को रोजगार दे रहा है। इसमें अब नौजवानों के लिए रोजगार के लाखों अवसर और पैदा होना बहुत सुखद है। उनके बजट भाषण में रोजगार शब्द का 13 बार जिक्र आया। साफ है कि मोदी सरकार का अब लक्ष्य देश के नौजवानों को बेहतर रोजगार के अवसर प्रदान करवाना है। भारत में शिक्षा के प्रसार–प्रचार के बाद अब यह जरूरी हो गया है कि रोजगार के पर्याप्त अवसर बढ़े।
बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के लिए 103 लाख करोड़ रु. के निवेश का प्रावधान किया गया है। यानी आगामी पांच साल के दौरान सरकार हर साल 20 लाख करोड़ के आसपास धन इंफ्रास्ट्रक्टर के क्षेत्र में लगाएगी। माना जाता है कि कृषि के बाद इंफ्रास्ट्रक्टर क्षेत्र में ही सबसे अधिक रोजगार के अवसर रहते हैं। बेशक अब देश का इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर लंबी छलांग तो लगाएगा ही। छ हज़ार किलोमीटर राजमार्ग बनेंगें । इससे करीब 2 करोड़ रोजगार भी पैदा होंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) के तहत 103 लाख करोड़ के 6500 प्रोजेक्ट लॉन्च किए गए हैं। इनसे रोजगार भी निश्चित रूप से बढ़ेंगे। इसके लिए अभी तक 22 हजार करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। इस निवेश से इन्फ्रास्ट्रक्चर को बहुत ही मजबूती मिलेगी। एनआईपी के तहत हाउसिंग, पीने का स्वच्छ पानी, एनर्जी, हेल्थकेयर, शिक्षण संस्थान, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, बस, मेट्रो,
दरअसल मोदी सरकार की देश में बढ़ती बेरोजगार को लेकर तीखी आलोचना हो रही थी। जाहिर है, सरकार ने अपने इस बजट में उन तमाम आलोचनाओं के भरपूर जवाब दे दिए हैं। हालांकि अधिकतर अर्थशास्त्रियों ने बजट पर अपनी राय देते हुए इस तरफ ध्यान नहीं दिया कि सरकार शिक्षा पर 99,300 करोड़ रुपए खर्च करेगी। बेशक यह बड़ी राशि है। इसका उपयोग कई स्तरों पर होगा। जैसे स्कूल कॉलेजों में अध्यापकों की भर्तियों से लेकर शिक्षा के मंदिरों को विश्व स्तरीय बनाना। कहना ना होगा कि इसके चलते भी रोजगार के अकूत अवसर पैदा होंगे। पर सबसे अहम बिन्दु यह अब कौन अध्यापक बन रहा है?