अनुशासित जीवन पद्धति का विकास योग से-कुलपति

200 प्रतिभागियों को बांटे सूर्य नमस्कार योग महोत्सव के प्रमाण पत्र
प्रयागराज।
उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज के स्वास्थ्य विज्ञान विद्या शाखा के तत्वावधान में गुरुवार को आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत प्राचीन यौगिक जीवन पद्धति का वर्तमान परिपेक्ष्य में महत्व विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी तथा 21 दिवसीय सूर्य नमस्कार योग महोत्सव के प्रमाण पत्र वितरण समारोह का आयोजन किया गया।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने कहा कि योग से मन और शरीर दोनों स्वस्थ रहते हैं। योग से ही अनुशासित जीवन पद्धति का विकास होता है। जीवन कौशल बनाए रखने में योग की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि योग के क्षेत्र में मुक्त विश्वविद्यालय हमेशा अग्रणी भूमिका में रहा है। उन्होंने 21 दिवसीय सूर्य नमस्कार योग महोत्सव की सफलता के लिए प्रतिभागियों को बधाई दी।
इस अवसर पर स्वास्थ्य विज्ञान विद्या शाखा के निदेशक प्रोफेसर जी एस शुक्ल ने प्राचीन यौगिक जीवन पद्धति का वर्तमान परिपेक्ष में महत्व विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि योग पुरातन एवं सनातन है। आधुनिक जीवन शैली से निजात पाने के लिए प्रकृति के समीप आना होगा। इसके लिए शारीरिक ही नहीं मन से अभ्यास करना होगा। प्रोफेसर शुक्ल ने कहा कि जीवन की दैनिक प्रक्रिया को प्रकृति के अनुकूल करना पड़ेगा। आज हमने उत्पादकता बढ़ाने के लिए रात दिन का अंतर खत्म कर दिया है। कृतिम  प्रकाश हमारा विनाश कर रहा है। उन्होंने कहा कि हम सभी को योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। योग के साथ ही हमें सत्संग करना चाहिए। सत्संग जहां बुद्धि की जड़ता को समाप्त करता है, वहीं पाप से भी दूर रखता है तथा चित्त को प्रसन्न रखता है।
संपूर्णत्व पाने के लिए मानवीय संवेदना का संचार आवश्यक है। योग विशेषज्ञ  अमित कुमार सिंह ने इस अवसर पर योगाभ्यास की विभिन्न विधाओं का प्रशिक्षण दिया।  इस अवसर पर 21 दिन तक चले सूर्य नमस्कार योग उत्सव के प्रतिभागियों ने अपने विचार साझा किए। प्रमाण पत्र वितरण समारोह में कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने प्रदेशभर से आए 200 प्रतिभागियों को आयुष मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से जारी प्रमाण पत्र प्रदान किया। समारोह का संचालन डॉ दीप्ति श्रीवास्तव एवं धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव प्रोफेसर पी पी दुबे ने किया। इस अवसर पर प्रोफेसर ओमजी गुप्ता, प्रोफेसर पी के पांडे, प्रोफेसर सत्यपाल तिवारी, प्रोफेसर रुचि बाजपेई, प्रोफेसर विनोद कुमार गुप्ता आदि उपस्थित रहे।

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