अधिवक्ताओं के मदद के नाम पर राजनीति करना दुःखद: देवेन्द्र मिश्र

प्रयागराज। भाजपा विधि प्रकोष्ठ काशी क्षेत्र संयोजक देवेन्द्र नाथ मिश्र ने बार काउंसिल आफ इंडिया एवं बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश के बीच अधिवक्ताओं द्वारा मदद के नाम पर वर्तमान में चल रहे खींचतान को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि समाज का सबसे जिम्मेदार अधिवक्ता समाज असहाय और निर्बल नही है। इस तरह की बयानबाजी से अधिवक्ता समाज का हितलाभ संभव नही है।

श्री मिश्र ने कहा कि वर्तमान में कोरोना आपदा में सजग प्रहरी की भांति अधिवक्ताओं ने जिम्मेदारी सम्हाल रखी है और समाज के निर्बल और असहाय लोगों की मदद पूरे मनोयोग से कर रहे हैं। जिसके लिए सम्मानित अधिवक्ता समाज धन्यवाद के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि बार काउंसिल आफ इंडिया ने 1998 में ही आपदा में अधिवक्ताओं की मदद हेतु अधिवक्ता कल्याण समिति को मदद हेतु निर्देश दे रखा है। वर्तमान प्रदेश बार काउंसिल अध्यक्ष द्वारा जारी पत्र सिर्फ कोरा आश्वासन ही दिख रहा है। जिससे अधिवक्ताओं मे भ्रम की स्थिति बनी है, जिसे स्पष्ट करने की जिम्मेदारी स्वयं अध्यक्ष की है और वाद विवाद की जगह तत्काल अधिवक्ताओं के हित में बिना किसी भेदभाव के कदम उठाए जाएं इसमे कोई कोताही बर्दाश्त नही की जाएगी।

क्षेत्र संयोजक ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अधिवक्ताओं के हित का पूरा ख्याल कर रखा है और इसी के मद्देनजर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2019-20 में 30 लाख 74 हजार 321 रुपए कल्याणकारी स्टाम्प बिक्री से प्राप्त किया और तत्काल 19 करोड़ 79 लाख का भुगतान मृतक अधिवक्ताओं के वारिसों की आर्थिक सहायता योजना के तहत मदद की। एक करोड़ 97 लाख 41 हजार 750 रूपये का भुगतान सामाजिक सुरक्षा फंड के अन्तर्गत किया, न्यासी समिति द्वारा 2019-20 में 09 करोड़ 03 लाख 58 हजार 160 रुपए का भुगतान बार काउंसिल के अनुमोदन एवं पैरवी के पश्चात हुआ। लंबित 425 मृतक अधिवक्ताओं हेतु तत्काल धनराशि निर्गत किए जाने और तीन वर्ष तक 5000 रुपए देने के साथ जल्द ही सभी बाधाओं को दूर करने का निर्णय लिया गया है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार अधिवक्ताओं के मदद के लिए दृढ़ कर्तव्य है और उसकी गंभीरता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि नए बजट मे 5368.71 करोड़ रुपए का प्राविधान किया। जिसमें 26 करोड़ रुपए अधिवक्ता कल्याण निधि, 15 करोड़ रुपए युवा अधिवक्ताओं के लिए 5 करोड़ रुपए अधिवक्ता चेंबर के लिए 75 करोड़ रुपए न्यायालय सुरक्षा हेतु, 150 करोड़ रुपए हाईकोर्ट पार्किंग के साथ 218 नए कोर्ट के गठन में जारी किया है।

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