राष्ट्रीय कृषि विकास योजना द्वारा स्वीकृतए एवं जीव विज्ञान विभाग शुआट्स द्वारा आयोजित कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुआट्स स्थित टिशू कल्चर प्रयोगशाला के कृषक पाठशाला में में सम्पन्न हुआ।कार्यक्रम के मुख्य अथिति निदेशक शोधए शुआट्सए डॉ० शैलेश मार्कर रहे। उन्होने अपने ऑनलाइन सम्बोधन में बताया कि हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में पानीए पोषक तत्वोंए और दूसरे साधनों के जरिये घर के अंदर पौधों को तैयार किया जाता हैण् इसमें मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ती हैण् यह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती कृषि तकनीकों में से एक हैण् परियोजना अधिकारी डा० प्रदीप शुक्ल ने बताया किइस तकनीक से खेती करने पर पानी की बचत होती है। यदि सही तरीके से हाइड्रोपोनिक खेती की जाए तो करीब 90 प्रतिशत तक पानी की बचत की जा सकती है। परंपरागत खेती की तुलना में इस विधि से खेती करने पर कम जगह में अधिक पौधे उगाए जा सकते हैं। हाइड्रोपोनिक फार्मिंग के अंदर जो स्ट्रक्चर होता है उसमे पाइप लगी होती है उसमे होल होते है इसमें हम कोकोपिट की सहायता से पौधे डालते है और इस पाइप में निरंतर पानी चलता रहता है एक साइड से पानी डाला जाता है और दूसरी साइड से पानी निकलता है फिर वही पानी उसी पानी के टैंक में वापस चला जाता है फिर वो पानी ही मोटर की सहायता से वापस उसी पाइप में आ जाता है और ये प्रक्रिया निरन्तर चलती रहती है द्य इस पानी के अंदर पोषक तत्व मिले होते है जो की हमारे उगाये गए या डाले गए बीजो को मिलते रहते है द्य इसी से हमारी जो फसल है वो उगती रहती है द्य डॉ० प्रगति शुक्ला ने बताया किकृषि क्षेत्र में आए दिन नए आविष्कार हो रहे हैं। इसके साथ ही कई नई तकनीकों का भी प्रयोग किया जा रहा है। इन ही तकनीकों में हाइड्रोपोनिक खेती भी शामिल है। आज से कुछ दशक पहले मिट्टी के बगैर खेती करने की कोई सोच भी नहीं सकता था। लेकिन यह हाइड्रोपोनिक तकनीक के माध्यम सेसंभव हुआ है। इस तकनीकी से पोषक तत्व बर्बाद नहीं होते। इस्तेमाल किए जाने वाले पोषक तत्व पौधों को आसानी से मिल जाते हैं। साथ ही अच्छी गुणवत्ता की फसल प्राप्त की जा सकती है। इस तकनीक में मौसमए जानवरों या किसी अन्य प्रकार के बाहरीए जैविक एवं अजैविक कारणों से पौधे प्रभावित नहीं होते।
डॉ० मुकेशए उद्यान विशेषज्ञए ने बताया पानी की खेती की सबसे खास बात ये है की इसमें हम सभी पोषक तत्व सही मात्रा में काम में लेते है और सारे पोषक तत्व काम में ले लेते है जबकि मिटटी में हमे सारे पोषक तत्व मिले ये जरुरी नहीं इसके अलावा उनकी मात्रा कम्पलीट हो ये भी जरुरी नहीं इसलिए मिटटी की खेती में हमे सम्पूर्ण पोषकता मिले ये जरुरी नहीं है द्यहाइड्रोपोनिक खेती में हम ज्यादातर सभी प्रकार की सब्जियाँ और फल तैयार किये जा सकते है बस हर प्रकार की सब्जियों के लिए जो स्ट्रक्चर होता है वो अलग अलग हो सकता है कुछ को ग्रोइंग बैग में उगाते है कुछ को पाइप्स में तैयार करते है कुछ को वाटर पौंड में तैयार करते है सब फसलों को तैयार करने का तरीका अलग अलग होता है द्य डॉ० अतुल यादव ने बताया कि इस तकनीक के द्वारा हम पानी वाली खेती में जनरली पालक ए धनिया ए भिंडी ए टिंडी ए लोकी ए स्ट्रॉबेरी ए मशरूम ए ब्रोकली ए तरबूज ए टमाटर ए शिमला मिर्ची ए मिर्ची एखीरा ए ककड़ी और भी बहुत सी सब्जियाँ हम तैयार कर सकते है द्य
कार्यक्रम के लिए डा० ए० ए० ब्रोडवेए निदेशक प्रसारए शुआट्स डा० शैलेश मार्करए निदेशक शोधए शुआट्स एवं डॉ० अजीत पॉलए डीनए फ़ैकल्टी ऑफ साइन्स शुआट्सए ने अपनी शुभकामनायें दी।