प्रयागराज। स्वदेशी जागरण मंच द्वारा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग में शुक्रवार को भारत का वित्तीय विवरण अथवा बजट एक स्वदेशी संकल्पना पर परिसंवाद का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. गिरीश चंद त्रिपाठी ने बजट पर बताया कि भारत का बजट दीर्घकालिक उद्देश्यों की पूर्ति करने वाला स्वदेशी की संकल्पना को आंशिक रूप से ही सही मूर्त रूप देने वाला है। क्षेत्रीय विचार प्रमुख स्वदेशी जागरण मंच अजय कुमार ने कहा कि भारत का आम बजट भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था भारत की मूल शिक्षा पद्धति भारत की दार्शनिक मौलिक अवधारणा संदर्भ एवं परिपेक्ष में होना चाहिए। पूर्वी उत्तर प्रदेश के संघर्ष वाहिनी प्रमुख स्वदेशी जागरण मंच सुरेश नागर चैधरी ने शिक्षा में निजीकरण का प्रतिरोध करते हुए संकल्प व्यक्त किया कि मंच निजीकरण का पुरजोर विरोध करेगा। मंच के विभाग संयोजक कैप्टन मुकेश ने भारत की अर्थव्यवस्था को विकेंद्रित अर्थव्यवस्था के रूप में रूपांतरित करने पर बल देते हुए कहा कि ग्रामीण आधारित विकास आधारित विकास तथा पर्यावरण को दृष्टि पथ में रखते हुए स्वदेशी के विचार को आगे बढ़ाना चाहिए। बजट रोजगार, लघु उद्योग, गृह उद्योग, कृषि को संरक्षित, सुरक्षित एवं संवर्धित होना चाहिए। शिक्षा और कई महत्पूर्ण क्षेत्र में एफडीआई कत्तई स्वदेशी के अनुरूप नहीं है।
डॉ. मानसिंह ने शिक्षा तथा स्वास्थ्य पर विशेष खर्च के लिए भारत सरकार से अनुरोध प्रस्ताव प्रस्तुत किया। बजट प्रस्ताव की प्रस्ताविकी डाॅ.हर्ष मणि सिंह ने प्रस्तुत एवं तकनीकी पक्ष को रेखांकित किया। अर्थशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रो.डॉ. अनूप कुमार ने बजट की विसंगतियों पर कहा कि बजट में शिक्षा और स्वास्थ्य पर अभी और आवश्यकता है। डॉ. विवेक कुमार निगम ने स्वदेशी की संकल्पना और भारत का बजट के समीकरण को स्थापित करते हुए कहा कि बजट आय-व्यय का विवरण होता है, बजट का वैचारिक पक्ष पूर्ण होता है। वर्ष 2020 के बजट में वैचारिक स्तर पर बजट की संकल्पना स्वदेशी समावेश सराहनीय है। संचालन मंच के विश्वविद्यालय मंडल के प्रमुख डॉ.अखिलेश त्रिपाठी ने एवं धन्यवाद ज्ञापन पूर्वी उत्तर प्रदेश प्रांत के सह संयोजक डॉ. वी.के सिंह ने किया। कार्यक्रम में विभाग प्रचार प्रमुख कृष्ण मोहन, सघर्षवाहिनी प्रमुख विभाग गंगेश, विभाग महिला प्रमुख आदर्श त्रिपाठी, बृजेन्द्र मणि, रामदत्त, अमरेंद्र प्रताप, विवेक, डाॅ. भावेश एवं दीनबंधु देवानंद उपस्थिति रहे। गोष्ठी के उपरांत शिक्षा के निजीकरण का विरोध करते हुए स्वदेशी संदेश यात्रा निकाली गई।