चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के 33 वें दीक्षा समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि पूर्व की सरकारों ने कोई काम नहीं किया जो दिखे। अब सरकार कर रही है जो दिख भी रहा है। कहा कि जो सरयू नदी परियोजना 40 साल पहले बनी थी। उसकी लागत 100 करोड़ थी। वह अब बनकर तैयार हुआ जिसमें 10 हजार करोड़ खर्च करना पड़ा। राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि मेरठ के आर्थिक महत्व को देखते हुए देश का पहला रैपिड रेल यहां से शुरू किया जा रहा है जिससे मेरठ तरक्की की राह पर और तेजी से आगे बढ़ेगा। मेरठ खेल क्षेत्र में जिस तरह से आगे बढ़ रहा है। उसे देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेजर ध्यानचंद खेल विश्वविद्यालय भी दिया है।दीक्षा समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि हमें समस्याओं को देखकर आंख नहीं बंद करना चाहिए। बल्कि उनका समाधान तलाशना चाहिए। अगर हम समाधान देखेंगे तभी नवाचार कर पाएंगे। दीक्षा समारोह में पदक पाने वाली छात्राओं की संख्या अधिक होने पर उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वह छात्रों को भी प्रोत्साहित करें कि वह पढ़ाई करें और एक स्वस्थ वातावरण में आगे बढ़ सके। उन्होंने कहा कि बहुत से युवा राजनीति में आना चाहते हैं लेकिन वहां भी उन्हें पढ़ाई करना ही होगा। दीक्षा में राज्यपाल ने 48 छात्र- छात्राओं को मेडल दिया।डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा कि दीक्षा समारोह में 48 मेडल में केवल तीन छात्रों ने प्राप्त किए हैं। बाकी छात्राओं के नाम हैं। बेटी पढ़े आगे बढ़े के तहत यह हो रहा है। प्रदेश और देश में जो माहौल है। उसमें यह परिवर्तन दिख रहा है। उन्होंने कहा कि दीक्षा शिक्षा का अंत नहीं है। एक विद्यार्थी जीवन भर सीख सकता है। अच्छा शिक्षक भी वही है जो जीवन भर विद्यार्थी बना रहता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में साडे चार साल के दौरान 12 विश्वविद्यालय बनने की प्रक्रिया पूरी हुई, 78 महाविद्यालय और 250 इंटर कॉलेज खुले। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग की अनुमति मिली। प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पद सृजित किए गए। जल्द ही विश्वविद्यालय में विभिन्न भाषा का अध्यापन शुरू होगा। नई शिक्षा नीति में उत्तर प्रदेश और खास करके चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय आगे रहा। कोरोना का हाल में डिजिटल लाइब्रेरी में 78 हजार कंटेंट अपलोड किए गए। जिसमें विश्वविद्यालय अग्रणी रहा। प्रदेश सरकार विश्वविद्यालय और कॉलेजों के माध्यम से ऐसा बदलाव करना चाह रही है। जिससे बच्चे पढ़ते पढ़ते रोजगार प्राप्त कर सकें इसके लिए संस्थानों का अलग-अलग उद्योगों से करार भी किया गया है। विश्वविद्यालय के कॉलेजों कि जो पहले मांग थी प्रोफेसर पद कि उसे पूरा किया गया। साथ ही यू जी के शिक्षक भी शोध करा सकेंगे ऐसी व्यवस्था की गई है।
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