सिख समर्पण भाव से “सहयोग निधि” समर्पित कर मंदिर निर्माण में अपना योगदान करें- सरदार पतविंदर सिंह

नैनी प्रयागराज /भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा काशी क्षेत्र, क्षेत्रीय मंत्री, मंडल प्रभारी, प्रयागराज कमिश्नरी प्रभारी  सरदार पतविंदर सिंह ने कहा कि
राममंदिर के लिए सिखों ने भी किया संघर्ष,मंदिर निर्माण में हाथ बटाएं,आओ प्रभु का घर सजाएं।श्री राम जन्मभूमि समर्पण अभियान के अंतर्गत मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम जी के भव्य मंदिर का निर्माण अयोध्या में होने जा रहा है,आइए गिलहरी की भांति समर्पण भाव से “सहयोग निधि” समर्पित कर मंदिर निर्माण में अपना योगदान करें।
 सरदार पतविंदर सिंह ने आगे कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जन्म भूमि मंदिर निर्माण के निमित्त श्री राम जी के चरणों मे एक छोटा सा योगदान समर्पित करें…
 सरदार पतविंदर सिंह ने कहा कि  शैशव काल से एक बात सुनते आए अयोध्या_करती_है_आह्वान
आज उम्र के इस दौर में उसकी  दूसरी लाइन पूरी होती हुई देख रहा हूं
ठाठ_से_हो_मंदिर_निर्माण
इस दिन के लिए जाने कितनों ने कार सेवा की। एक सपना जो हम सबने देखा था वह पूरा होने को है।एक पीढ़ी के बाल सफेद हो गए तो एक जवान और एक नई पौध किशोर किशोरियों के रूप में तैयार हो गई है। जोश और बढ़ गया है। प्रभु राम की कृपा से जोश तो है पर होश भी कायम है
   पतविंदर सिंह ने कहा कि राम भक्तों का रेला,जय श्रीराम के नारे लगाते तब भी चलता था और आज भी। जनसैलाब श्रद्धा नवत होकर राम मंदिर निर्माण हो इसके लिए अपना सर्वस्व समर्पण करने के लिए आतुर है।
राम भक्तों सावधानी बस इतनी है कोई छूटने ना पाए कोई रह ना जाए, इस महायज्ञ में यथासामर्थ्य अपनी आहुति देने को…
बोले सो निहाल,सत श्री अकाल..
 सरदार पतविंदर सिंह ने कहां  कि सिख रामजन्मभूमि की मुक्ति के संघर्ष में शामिल रहे हैं। गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड में सिख इतिहास से संबंधित करीब सौ वर्ष पुरानी किताब संरक्षित है,जिसमें उल्लेख है कि सन 1672 में मां गुजरीदेवी एवं मामा कृपाल सिंह के साथ पटना से आनंदपुर जाते हुए दशमगुरु गोविद सिंह ने रामनगरी में धूनी रमाई थी और अयोध्या प्रवास के दौरान उन्होंने मां एवं मामा के साथ रामलला का दर्शन भी किया था। रामजन्मभूमि की दावेदारी से जुड़े इतिहास के अनुसार 17वीं शती के ही उत्तरार्ध में बाबा वैष्णवदास ने रामजन्मभूमि की मुक्ति के लिए दशम गुरु से सहायता मांगी थी। दशमगुरु उस समय आनंदपुर साहिब में थे, रामजन्मभूमि के लिए उन्होंने निहंग सिखों का जत्था भेजा था। इस जत्थे ने रामजन्मभूमि को मुक्त भी कराया थाl संघर्ष की यह विरासत रामघाट स्थित मंदिर निर्माण कार्यशाला की उस दीर्घा से भी बयां होती है, जिसमें राममंदिर की मुक्ति से जुड़े महापुरुषों की अगली कतार में दशम गुरु का चित्र प्रमुखता से संयोजित हैl
सरदार पतविंदर सिंह ने अंत में कहा कि भगवान राम से सिखों का सरोकार उनके डीएनए से जुड़ा हैl श्री गुरु ग्रंथ साहिब में कई बार राम नाम शब्द का जिक्र आया है।

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