प्रयागराज । श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी (प्रकाश पर्व) में गुरुओं व भक्तों की वाणी हैं गुरबाणी के पवित्र शब्द आध्यात्मिकता और मानवता का उपदेश है जिसके अनुसार मानव जीवन को परिपूर्ण बनाया जा सकता है।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब की पवित्र गुरबाणी में मनुष्य के लिए आध्यात्मिक और धार्मिक मार्गदर्शन के साथ-साथ सामाजिक,आर्थिक, वैज्ञानिक सभी प्रकार की प्रेरणाएं उपस्थित हैं।
दसवें गुरु श्री गोविंद सिंह जी ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को गुरु गद्दी पर आसीन किया।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की पवित्र गुरबाणी ज्ञान का ऐसा स्रोत है जो अज्ञान के अंधकार से मुक्ति का मार्ग दिखाती है और जीवन में प्रकाश लाती है। गुरु साहिब ने गुरबाणी के माध्यम से मनुष्य को ईश्वर प्राप्ति का मार्ग दिखाया है। ईश्वर की उपस्थित सभी जगह बताकर मानवता को एकजुट रहने का संदेश दिया है। इसका उपदेश है कि ईश्वर को याद करते हुए सबका भला करने के सिद्धांत के अनुसार जीवन निर्वाह करना है ।
गुरुओं ने अपने उपदेशों व वाणियो के माध्यम से सिखों को जीवन जीने के लिए जो सिद्धांत दिए हैं उनका पालन प्रत्येक सिख धार्मिक कर्तव्य मानकर करता है, इसलिए पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहिब सभी सिखों के लिए पूज्य हैं।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब में 1430 अंग(पन्रे)वाले इस ग्रंथ के पहले ग्रंथी बाबा बुड्ढा जी जिन्होंने पहले पातशाही से लेकर छठी पातशाही तक सिख धर्म की सेवा में अपना जीवन समर्पित किया, वही इस ग्रंथ के पहले ग्रंथी थे।
सिख सेवा संगम उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सरदार पतविंदर सिंह ने कहा कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी पूरे मानव समाज को एक सूत्र धागे में बांधते है।भेदभाव से उठकर, आपसी सद्भाव, भाईचारा, मानवता व समरसता का संदेश देने वाले श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी है।
100 क्विंटल फूलों से सजा हरिमंदिर दरबार साहिब अमृतसर
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पावन प्रकाश पर्व के उत्सव में अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर को 100 क्विंटल से भी अधिक फूलों से सुसज्जित किया गया है। सबसे खास बात यह है कि स्वर्ण मंदिर को सजाने में सिर्फ भारत के फूलों का इस्तेमाल नहीं किया गया है, बल्कि थाईलैंड, सिंगापुर, आस्ट्रेलिया और मलेशिया जैसे देशों से भी फूल आयात किए गए हैं। 50 अलग-अलग वैरायटी के सौ क्विंटल से अधिक फूल स्वर्ण मंदिर को सजाने में इस्तेमाल किए गए हैं। प्रकाश पर्व के उत्सव की तैयारी बहुत भव्य तरीके से की गई है। स्वर्ण मंदिर की सजावट के लिए 180 कारीगरों को लगाया गया था। इसके साथ ही श्री गुरु रामदास जी के नाम पर बना अमृतसर का एयरपोर्ट भी फूलों से सुसज्जित किया गया है।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की पवित्र गुरबाणी अज्ञान के अंधकार से मुक्ति का मार्ग दिखाती है- पतविन्दर
