श्रीमद्भागवत कथा में प्रहलाद चरित्र का किया गया वर्णन

लालापुर, प्रयागराज। लालापुर क्षेत्र के ग्राम गिधार में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन प्रहलाद के चरित्र का वर्णन किया गया, जिसे सुनकर श्रोता भाव विभोर हो गए। श्रीमद्भागवत कथा में भक्त प्रहलाद के चरित्र का वर्णन करते हुए आचार्य जी ने बताया कि प्रहलाद का चरित्र पुत्र एवं पिता के संबंध को प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि यदि भक्त सच्चा हो तो विपरीत परिस्थितियां भी उसे भगवान की भक्ति से विमुख नहीं कर सकती। राक्षस प्रवृत्ति के हिरण्यकश्यप जैसे पिता को प्राप्त करने के बावजूद भी प्रहलाद ने ईश्वर भक्ति नहीं छोड़ी। सच्चे अर्थों में कहा जाए तो प्रहलाद ने पुत्र होने का दायित्व भी निभाया। उन्होंने कहा कि पुत्र का यह सर्वोपरि दायित्व है कि यदि उसका पिता दुष्ट प्रवृत्ति का हो तो उसे भी सुमार्ग पर लाने के लिए सदैव प्रयास करने चाहिए, प्रहलाद ने बिना भय के हिरण्यकश्यप के यहां रहते हुए ईश्वर की सत्ता को स्वीकार किया और पिता को भी उसकी ओर आने के लिए प्रेरित किया। लेकिन राक्षस प्रवृत्ति के होने के चलते हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद की बात को नहीं माना। ऐसे में भगवान नरसिंह द्वारा उसका संहार किया गया। उसके बाद भी प्रह्लाद ने अपने पुत्र धर्म का निर्वहन किया और अपने पिता की सद्गति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।इस दौरान कथा के मुख्य यजमान रामानुज पाण्डेय व अनारकली पाण्डेय सहित सैकड़ों श्रोता मौजूद रहे।

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