शुक्रवार को चुप ताज़िये के साथ खत्म हो जाएगा ग़म मनाने का सिलसिला

प्रयागराज ! नवासा ए रसूल हज़रत इमाम हुसैन और उनके 71 अन्य साथियों की इराक़ के करबला शहर मे राहे हक़ और इन्सानियत की बक़ा की खातिर दी गई अज़ीमुश्शान  कुर्बानी की याद मे हर वर्ष दो माह और आठ दिनो के लम्बे अन्तराल तक जारी रहने वाले अय्यामे अज़ा मे अब दो दिन ही शेष रह गए हैं।इन दिनो शिद्दत से अज़ादार इमाम हुसैन की मजलिस के लिए फरशे अज़ा बिछा कर जहाँ ओलमाओं की तक़रीर करवा रहे हैं वहीं शब्बेदारी मे रात भर देश के विभिन्न प्रान्तों की ख्याति प्राप्त अन्जुमने नौहा और मातम मे शामिल हो रही हैं।अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमया के प्रवक्ता सै०मो०अस्करी के अनुसार मोहर्रम के चाँद के दीदार के साथ शुरु हुआ अय्यामे अज़ा का दौर शुक्रवार को हज़रत इमाम हसन अस्करी (अ०स०) की शहादत पर रानीमण्डी इमामबाड़ा नक़ी बेग मे  प्रातः 9 बजे व दरियाबाद के ऐतिहासिक बंगले से दिन मे 11 बजे निकलने वाले ताबूत,चुप ताज़िया ,अलम अमारी व ज़ुलजनाह निकालने के साथ ग़म मनाने का सिलसिला थम जायगा।दोनो ही आयोजन इमामबाड़ा प्रांगण मे होंगे।जुलूस चुप ताज़िया आयोजक बशीर हुसैन ने इमामबाड़ा नक़ी बेग के अन्दूरीनी हिस्से मे नौहा मातम के साथ ज़ियारत कराने की बात कही वहीं दरियाबाद अमारी जुलूस के आयोजक तूराब हैदर बाबू ने सभी मातमी अन्जुमनो के साथ बैठक कर शासन प्रशासन की गाईड लाईन के अनुसार जुलूस न निकालने के फैसले के साथ सभी मातमी अन्जुमनो से एक नौहा ऐतिहासिक बंगले मे और उसके बाद इमामबाड़ा अरब अली खाँ के विशाल प्रांगड़ मे सभी अन्जुमन सिलसिलेवार नौहा मातम करेंगी इस बात की ताकीद कर दी वहीं सभी तबर्रुक़ात इमामबाड़े मे सजा दिए जाएंगे जहाँ सोशल डिस्टेन्सिंग के साथ ज़ियारत कराई जाएगी।

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