नैनी, प्रयागराज। सैम हिग्गिनबाॅटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय (शुआट्स) में चल रहे ग्रामीण कृषि मौसम सेवान्तर्गत भारत सरकार से शुक्रवार को प्राप्त पूर्वानुमान के अनुसार वैज्ञानिकों ने कृषकों को सलाह दी है कि धान की कटाई के बाद गेहूँ के लिए खेत की तैयारी तत्काल कर ले । देख लें कि मिटटी भुरभुरी हो जाये और ढेले न रहने पायें । धान की शेष पक्की फसल की कटाई कर लें । यदि गेंहूँ के बीज शोधित न हो तो प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम थीरम से शोधित कर लें । गेंहूँ के बीज पी 0 बी 00 डब्लू 343 , सी ० वी ० डब्लू 38 , डी ० बी ० डब्ल्यू 39 , यू ० पी ० 2382 , एच 0 यू 0 डब्ल्यू 510 गेहूँ की उपयुक्त किस्में हैं । लाही की पत्तियों को खाने वाली आरा मक्खी और बालदार गिडार का नियंत्रण करें । लाही की बोआई के 15-20 दिन पर अथवा हर हालत में सिंचाई के पहले पौधें की छँटाई कर लें । पौधे घने होने और खरपतावार बढ़ने से लाही की उपज में 20-30 प्रतिशत की कमी हो सकती है । घने पौधे को निकालकर पौध से पौध की दूरी 10-15 सेमी कर लें । चने की बोआई के 30-35 दिन के बाद निराई – गुड़ाई कर लें । आलू की बोआई का उचित समय अक्टूबर माह है यदि न हो पाई हो तो जल्द बोआई करें | आलू की कुफरी बहार , कुफरी बादशाह , कुफरी अशोका , कुफरी सतलज , कुफरी आनन्द तथा लाल छिलके वाली कुफरी सिन्दूरी और कुफरी लालिमा मुख्य प्रजतियाँ हैं । – गुलाब के पौधों की कटाई छटाई कर कटे भागों पर डाईथेन एम 045 का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें ।पशुपालक पशुओं को खुरपका मूँहपका रोग का निरोधक टीका लगवायें साथ ही साथ संतुलित आहार के साथ कृमिनाशक दवा का सेवन करायें ।
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