नैनी, प्रयागराज। सैम हिग्गिनबाॅटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय (शुआट्स) में चल रहे ग्रामीण कृषि मौसम सेवान्तर्गत भारत सरकार से प्राप्त पूर्वानुमान के अनुसार वैज्ञानिकों ने पूरे सप्ताह वर्षा के आसार जताते हुए कृषकों को सलाह दी है कि धान की पौध की जड़ों को 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा हारजियेनम 2 प्रतिशत प्रति लीटर पानी में घोलकर उपचारित करके रोपाई करने से रोगों का प्रकोप कम हो जाता है। यदि 20-25 दिन की पौध तैयार है तो धान की रोपाई 2-3 पौधा प्रति हिल एवं प्रति वर्ग मीटर 40 से 50 हिल को 3-4 सेमी. की गहराई पर रोपें। धान के पौध की चोटी ऊपर से एक इंच काटकर रोपाई करने से कीट एवं बीमारियों के प्रकोप की संभावना कम हो जाती है।
पौधशाला हेतु ऊँचे एवं ढालू स्थान का चयन करें, जिससे वर्षा के पानी का निकास आसीन से हो सके। नर्सरी डालने के लिये 7.5 मी. लम्बा 1 मीटर चौड़ा और 10-15 से.मी. ऊंचा स्थान बनाना चाहिये।
खुरपका एवं मुहपका (एफ.एम.डी.) बीमारी का 15 जुलाई से 30 अगस्त तक 60 जनपदों में तथा लम्पी त्वचा रोग का टीकाकरण 15 सितम्बर से प्रदेश के समस्त जनपदों में निःशुल्क चलाया जायेगा।
पौधशाला में अंकुरण क्यारियों तैयार कर आम, गुलमोहर, महुआ, कटहल, जामुन, कंजी, नीम आदि के बीजों की बुआई शीघ्र कर लें। अंकुरित पौधों को रूट ट्रेनर/थैलियों में प्रतिरोपित कर रख दें।
पौधों को रोपण से पहले सावधानीपूर्वक पालीथीन से निकालें तथा पिण्डी को टूटने न दें उसके उपरांत ही रोपण करें