प्रयागराज। सैम हिग्गिनबाॅटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय (शुआट्स) में चल रहे ग्रामीण कृषि मौसम सेवान्तर्गत भारत सरकार से प्राप्त पूर्वानुमान के अनुसार वैज्ञानिकों ने पूरे सप्ताह वर्षा के आसार जताते हुए कृषकों को सलाह दी है कि धान में प्रथम टाप ड्रेसिंग के उपरांत 15 से 25 दिन पर द्वितीय ( बाली निकलते समय ) टाप ड्रेसिंग यूरिया से करें । धान की जस्ता की कमी से खेरा रोग होने पर 05 से 10 किग्रा . जिंक सल्फेट एवं 2 प्रतिशत यूरिया प्रति हेक्टेयर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें । • धान की फसल में पत्ती लपेटक तनाछेदक , हरा फुदका एवं हिस्सा कीट से बचाव के लिये कार्टाप हाईड्रोक्लोराइड ( 50 एस.पी. ) की 150 से 200 ग्राम मात्र 200 ली . प्रति एकड़ पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें । मक्का में तना छेदक के 10 मृत गोभ होने पर कार्बोफ्यूरान 3 जी 20 किग्रा . अथवा डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ई.सी. 1.0 ली . प्रति है अथवा क्यूनालफास 25 प्रतिशत ई.सी. 1.50 ली . का प्रति हे . बुरकाव / 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें । यदि किन्हीं कारणों से बुवाई में विलम्ब होने की दशा में सितम्बर के प्रथम पखवारे में बहार एवं पी.डी.ए. 11 की शुद्ध फसल के रूप में बुवाई की जा सकती है , परंतु कतार से कतार की दूरी 30 से.मी. एवं बीज की मात्रा 20 से 25 कि.ग्रा . प्रति है . की दर से प्रयोग करें । उर्द / मूंग की पत्तियों पर सुनहरें चकत्ते पड़ गये हों या सम्पूर्ण पत्ती पीली पड़ गयी हो तो यह पीला चित्रवर्ण रोग ( यलोमोजेक ) है यह रोग सफेद मक्खियों द्वारा फैलता है । ऐसे रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर जमीन में गाड़ दें सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए डाइमिथोएट 30 ई ० सी ० 01 लीटर या मिथाइल ओ – डिमेटान ( 25 ई ० सी ० ) 01 लीटर प्रति हे 0 की दर से दो तीन छिड़काव करें । मूंगफली में सफेद गिडार के प्रबंधन हेतु खड़ी फसल में क्लोरपाईरीफॉस 20 ई.सी. 4 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से जड़ों में अथवा सिंचाई के माध्यम से डालें । बुवाई हेतु को . शा . 13235 को लख . 14201 को 15023 को शा . 17231 , को . शा . 16233 आदि प्रवेश हेतु स्वीकृत किस्मों की ही बुवाई करें । बैंगन व मिर्च की तैयार बेहन की मेड़ों पर रोपाई करें । 0. बेहन हेतु गोभीवर्गीय सब्जियों , शिमला मिर्च तथा टमाटर आदि की नर्सरी में बुआई उठी हुई क्यारियों ( रेज्ड बेड ) में करें तथा पूर्व में बोई गई तैयार पौध की रोपाई भी यथाशीघ्र करें । 1. आलू की अगेती किस्मों जैसे कुफरी चन्द्रमुखी तथा कुफरी अशोका की बुआई का उपयुक्त समय मध्य सितम्बर है । बुआई के 7-10 दिन पहले शीत भण्डार से बीज आलू को बाहर निकालें । शीत भण्डारण में भण्डारित बीज में यदि अंकुर निकल आये तो उनको छाँटकर अलग कर दें । 2. वर्तमान में खुरपका एवं मुंहपका बीमारी ( एफ . एम.डी. ) का टीकाकरण सभी पशुचिकित्सालयों में कराया जा रहा है । यह सुविधा सभी पशुचिकित्सालयों पर निशुल्क उपलब्ध है । बड़े पशुओं में गलाघोटू बीमारी की रोकथाम हेतु एच.एस. वैक्सीन से तथा लंगड़िया बुखार की रोकथाम हेतु बी क्यू वैक्सीन से टीकाकरण करायें । 3. वृक्षारोपण उपरांत जो पौधें मर गये हो उनके स्थान पर गैप फिलिंग करें ।
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