राष्ट्रपति जो बाइडन नीत अमेरिकी सरकार का कहना है कि वह रूस के साथ दूरी बनाने में भारत की मदद करते हुए उसके साथ मिलकर काम करने को प्रतिबद्ध है। व्हाइट हाउस ने कहा, ऐसे कई देश हैं जिन्होंने इस कठिन तथ्य को जान लिया है कि रूस ऊर्जा या सुरक्षा क्षेत्र में विश्वसनीय नहीं है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि भारत-रूस रिश्तों को लेकर अमेरिका ने लगातार स्पष्ट किया है कि ये संबंध कई दशकों में विकसित और मजबूत हुए हैं। वास्तव में ये रिश्ते शीत युद्ध के दौरान बने जब अमेरिका, भारत के लिए आर्थिक, सुरक्षा व सैन्य भागीदार बनने की स्थिति में नहीं था।
नेड प्राइस ने कहा, अब हालात बदल गए है और गत 25 वर्षों के दौरान इसमें बदलाव आया है, जिसकी शुरुआत वास्तव में राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश के प्रशासन ने की थी। उन्होंने कहा, अमेरिका ने आर्थिक, सुरक्षा और सैन्य सहयोग समेत हर क्षेत्र में भारत के साथ अपनी साझेदारी को गहरा करने की कोशिश की है।
छूट सोच-समझकर दी
भारत द्वारा रूस से तेल की खरीदी पर किए एक सवाल के जवाब में नेड प्राइस ने कहा कि अमेरिका ने तेल, गैस व ऊर्जा क्षेत्र को लेकर रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों में छूट सोच-समझकर दी है। उन्होंने कहा, भारत में ऊर्जा की अत्यधिक मांग है वह रूस से तेल और ऊर्जा के अन्य स्रोत हासिल करता है यह कोई ऐसी चीज नहीं है जो लगाए गए प्रतिबंधों के विरुद्ध हो। उन्होंने कहा, कई देशों ने जान लिया है कि रूस ऊर्जा के क्षेत्र में विश्वसनीय स्रोत नहीं है।
अमेरिका-रूस, हथियार नियंत्रण निरीक्षण पर वार्ता को तैयार
अमेरिका और रूस अपने निलंबित परमाणु हथियार नियंत्रण निरीक्षण को बहाल करने पर जल्द ही वार्ता करेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा, कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते इन निरीक्षणों पर रोक लगा दी गई थी। नेड प्राइस ने कहा, ‘न्यू स्टार्ट’ संधि की शर्तों के तहत निरीक्षणों पर बातचीत निकट भविष्य में होगी। उन्होंने वार्ता की तारीख या जगह के बारे में नहीं बताया लेकिन अन्य अधिकारियों ने संकेत दिए कि वार्ता साल के अंत में मिस्र में हो सकती है।