वैशाख मास में इन बातों का जरूर रखें ध्यान,

हिन्दू पंचांग के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा तिथि का समापन हो 06 अप्रैल को सुबह 10 बजकर 04 मिनट पर हो गया है और इसी समय से वैशाख कृष्ण प्रतिपदा की शुरुआत हो चुकी है। स्कंद पुराण वैशाख मास को माधव मास के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस मास में जप, तप, स्नान और दान से साधकों को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। वैशाख में भगवान विष्णु की उपासना का विशेष महत्व है। साथ ही इस पवित्र महीने में कुछ नियमों का पालन करने से व्यक्ति को कई प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। आइए जानते हैं वैशाख मास के कुछ विशेष नियम।

वैशाख मास नियम

  • वैशाख मास में स्नान-दान का विशेष महत्व है। इसलिए इस मास में पवित्र स्नान करने से और जल का दान करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है और जीवन में आ रही परेशानियां दूर हो जाती हैं।
  • वैशाख मास में गर्मी चरम पर होती है। इसलिए इस मास में छायादार वृक्ष की सेवा, गर्मी से त्रस्त व्यक्ति की सहायता या चप्पल, प्याऊ आदि का दान करने से भी व्यक्ति को देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।
    • वैशाख मास में भगवान विष्णु की विशेष रूप से पूजा की जाती है, साथ ही इस महीने में कई महत्वपूर्ण हिन्दू व्रत एवं त्योहार मनाए जाते हैं। इसलिए इस महीने में पूजा-पाठ का विशेष ध्यान रखें और नियमित रूप से सूर्य को अर्घ्य जरूर प्रदान करें।
    • स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से वैशाख मास में व्यक्ति को जल का सेवन सर्वाधिक करना चाहिए और मसालेदार चीजों के सेवन से परहेज करना चाहिए। साथ ही इस मास में सूर्योदय से पहले उठें और ठंडे पानी से स्नान करें।
    • वैशाख मास का महत्व

      न माधवसमो मासो न कृतेन युगं समम्।

      न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंङ्गया समम्।।

      इस श्लोक में वैशाख मास के महत्व को बताते हुए कहा गया है कि वैशाख क समान कोई मास नहीं, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं। गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं। वेद एवं पुराणों में बताया गया है कि वैशाख मास में किए गए धार्मिक कार्यों से व्यक्ति को मनचाही इच्छा की पूर्ति का आशीर्वाद मिल जाता है।

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