वरिष्ठ साहित्यकार शिव मूर्ति को श्री लाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया

प्रयागराज।
श्री लाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य पुरस्कार वरिष्ठ साहित्यकार  शिव मूर्ति को लखनऊ में एक सम्मान समारोह में दिया गया।वरिष्ठ साहित्यकार  शिव मूर्ति जिनके केन्द्रीय पात्र किसान,मजदूर ,दलित,वंचित,स्त्री व उपेक्षित जन होते है एवं उनके साहित्य में गांव व खेती का सजीव चित्रण मिलता है। शिव मूर्ति ने कहा है कि साहित्यकार क्या लिखता है यह महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि वह क्यों लिखता है यह महत्वपूर्ण होता है।उन्होनें कहा कि कोई भी साहित्य के लिखने का उद्देश्य सर्व हिताय होना चाहिए।उनका लेख शोषण,दमन,अशिक्षा,कुपोषण,अन्याय असमानता छल लेखन का केन्द्र बिन्दु है।उन्होंने कहा खेत,खलियान,गाय, फौजदारी मुकदमें बाजी व वर्ण संघर्ष फर्जी एनकाउंटर,आदिवासियों पर लिखने के लिए मेरे अंतःकरण में पिरोया है जो दरवाजों के खुलते की कागज के पन्नों में फैल जाते है।उन्होंने कहा कि मेरे साहित्य में पांच सितारा होटल की जिंदगी किटी पार्टी का वर्णन किसी सुंदर प्रतियोगिता का चित्रण नहीं मिल सकता है क्योंकि मेरा तादात्म्य नहीं बनता कोई सरोकार नहीं बनता। करीने से कटी हेज मुझे बहुत अच्छी लगती है लेकिन उससे भी अच्छी बेतरतीब जंगल के वह वृक्ष लगते है। शेफर्ड जर्मन कुत्ता जरूर अच्छा होता है लेकिन मुझे देसी कुत्ता उससे भी अच्छा लगता है जो किसी एक मालिक के खूटे नहीं बनता जिसकी मर्जी होता है उसके दरवाजे पर जाता है जहां पर नहीं जाना चाहता नहीं जाता है मेरे साहित्य में गुलाब के फूल अच्छे जरूर लगते है लेकिन उससे भी अच्छे अरहर, सरसों, मटर के वह फूल बहुत अच्छे लगते हैं। चीनी के दानों से अच्छे यूरिया का व सफेद दाना लगता है जो खेत में जाकर अन्न को उपजाने में मदद करता है मेरे लेखन को पेन्हाई हुई गाय बछड़े का अंडकोष बहुत अच्छा लगता है। यूरिया का वह बैग जो 10 किलोमीटर दूर से साइकिल के बीचो बीच रखकर ले आता था वह मेरी लिखने के पहले याददाश्त में आया था वह मकरा बैल मुझे अंत तक याद रहा जिसने हमको हल जोतना सिखाया था क्योंकि वह दाहिने चलता था और कहां से मुड़ना है कहां से नहीं मुड़ना है यह उसी के ऊपर निर्भर था मेरे इस सम्मान की प्रतिबद्धता गांव और किसान के जीवन पर लिखें साहित्य के प्रति है ।दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित सहकारी संस्था इफको 31 जनवरी को महान साहित्यकार और राग दरबारी जैसे साहित्य की रचना करने वाले स्वर्गीय  लाल शुक्ल की स्मृति में इफको साहित्य सम्मान का आयोजन करती है। लाल शुक्ल लखनऊ में ही रहते थे इसलिए लखनऊ में ही यह सम्मान समारोह का आयोजन किया जाता है। जिसमें अब तक 11 साहित्यकारों को सम्मानित किया जा चुका है चयनित साहित्यकार को 11 लाख नगद पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।सम्मान समारोह में आए हुए अतिथियों मीडिया कर्मियों साहित्यकारों का स्वागत करते हुए प्रबंध निदेशक डॉ उदय शंकर अवस्थी ने  लाल शुक्ल इफको साहित्य के बारे में विस्तृत रूप से बताते हुए चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता को बताया उन्होंने कहा कि हमारी संस्था में यह सम्मान उन्हीं साहित्यकारों को दिया जाता है जिनके साहित्य के केंद्र बिंदु में गांव किसान उपेतक्षित वंचित लोग होते है और उनके उत्थान के लिए लेखक कैसे चित्रण करता है।उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र का विकास तभी हो सकता है जब किसी भी राष्ट्र का विकास तभी  हो सकता है जब किसान और गांव का विकास होगा।नैनो फर्टिलाइजर की खोज राष्ट्र और किसान के विकास को ध्यान में रखा कर किया है जो पर्यावरण और किसानों के लिए आने वाले समय में वरदान साबित होगी। इस अवसर पर इफको के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने इफको साहित्य सम्मान समारोह में ममता कालिया सहित सभी साहित्यकारों का आभार प्रकट किया ।डायरेक्टर मार्केटिंग  योगेंद्र कुमार, ऑल इंडिया इफको ऑफीसर्स एसोसिएशन के चेयरमैन  जितेंद्र तिवारी,  इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस के उपाध्यक्ष  विकास त्रिवेदी,जनसम्पर्क अधिकारी संजय कुमार मिश्रा अन्य गणमान्य लेखक व इफको के अधिकारीगण कार्यक्रम मे मौजूद रहे।

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