वनश्री राव ने कुचिपुड़ी नृत्य में दिखाया भगवान शिव का विभिन्न स्वरूप

पण्डित विद्याधर व्यास ने गाया चलो मन गंगा जमुना तीर।
प्रयागराज महाकुम्भ के गंगा पण्डाल में प्रतिदिन कार्यक्रम हो रहे हैं। गायन, वादन एवं नृत्य के त्रिकोणीय संयोजन से पण्डाल अभिभूत है।
आज दिनांक 14 फरवरी 2025 को शास्त्रीय गायन एवं नृत्य का अदभुत संयोजन बना। सबसे पहले ग्वालियर घराने के संगीत महर्षि पण्डित विष्णु दिगंबर पलुष्कर की वंशावली को बढ़ाने वाले पंडित नारायणराव व्यास के पुत्र तथा शिष्य पण्डित विद्याधर व्यास ने विभिन्न रागों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। संगीत नाटक अकादमी एवं तानसेन सम्मान से सम्मानित तथा भातखण्डे संगीत संस्थान के पहले कुलपति पंडित विद्याधर ने सबसे पहले राग श्री में “हरी के चरण कमल, निस दिन सुमन लें” का भावपूर्ण पद प्रस्तुत किया। उसके बाद राग बसंत में पुशुपति गिरजावर प्रस्तुत की। उसके भाव शिव को समर्पित राग शंकरा में उन्होंने शंकर भंडार भोले की उद्दीप्तमान प्रस्तुति दी। अपनी अंतिम प्रस्तुति में उन्होंने महाकुम्भ को ध्यान करते हुए बहुचर्चित भजन “चलो मन गंगा यमुना तीर” की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में दूसरी प्रस्तुति के लिए कुचिपुड़ी में देश का गौरव बढ़ाने वाली संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत तथा 65 से भी अधिक देशों में 600 से भी अधिक प्रतिष्टित  मंचों पर प्रस्तुति दे चुकीं श्रीमती बनाश्री राव ने अपने निर्देशित नाट्य और नृत्य के अदभुत संयोजन से प्रेरित नाट्य नाटिका का मंचन किया। सर्वप्रथम उन्होंने भगवान शिव को समर्पित तथा उनके विभिन्न रूपों को प्रदर्शित किया। उन्होंने दिखाया कि कैसे महादेव ही अघोरी और फिर अर्धनारीश्वर और उसके बाद कीरत अर्जुन प्रसंग में वराह और शिकारी के रूप में प्रकट होते हैं। कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति के रूप में भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप और उसके साथ माता यशोदा की मातृत्व भाव प्रसंग को नृत्य नाटिका के माध्यम से दिखाया। सबसे अंत मे उन्होंने द्वादश ज्योतिर्लिंग से तथा महान मार्कण्डेय एवं शिव प्रसंग को नृत्य के माध्यम से उकेरा।
कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति के रूप में देश विदेश में  कर्नाटक संगीत में विशेष पहचान रखने वाली तथा संगीत नाटक अकादमी एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार से सम्मानित अमृता मुरली ने अपने गायन से मधुर राग छेड़ी। श्रीमती एवं श्री के आर केदारनाथ, श्रीमती रामा रवि एवं श्री पी एस नारायण स्वामी की शिष्या ने अपनी पहली प्रस्तुति में राग कुन्तलावर्ली में तुंग तुंग गंगे की बेहतरीन प्रस्तुति दी। अगले कड़ी में राग पंतोवर्ली में शम्भू महादेवा का भावपूर्ण प्रस्तुति दी। उसके बाद उन्होंने राग झंझउइति में गंगा माँ पाही की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम के अंत मे मणिपुर नृत्य में संगीत नृत्य और नाट्य के समागम से गंगा का पृथ्वी पर अवतरण को दिखाया। मणिपुर की ए ग्रेड की कलाकार तथा भारतीय संस्कृति संबंध परिषद से सीनियर फेलोशिप श्रीमती हेंगलम इंदु ने अपने नृत्य में माँ गंगा के पृथ्वी पर भागीरथी के प्रयासों से लेकर तथा सागर से मिलने के पहले भगवान चैतन्य की जन्मभूमि से घूमने का प्रसंग झलकाया।
कार्यक्रम के अंत में संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश के कार्यक्रम अधिषासी श्री कमलेश कुमार पाठक ने सभी कलाकारों को अंगवस्त्र तथा प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। मंच संचालन प्रयागराज के प्रसिद्ध कवि व उदघोषक श्री शैलेन्द्र मधुर ने किया।

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