राष्ट्रीय कार्यशाला में वन क्षेत्र बढ़ाने को लेकर कार्यशाला आयोजित

प्रयागराज। पारि-पुनस्र्थापन वन अनुसंधान केन्द्र प्रयागराज द्वारा पर्यावरण पुनस्र्थापन में वानिकी के हस्तक्षेप पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण क्षेत्रीय केन्द्र प्रयागराज में हुआ। जिसका शुभारंभ पूर्व उप-महाप्रबंधक हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड एवं पूर्व निदेशक भारतीय खनिज उद्योग महासंघ डाॅ. डी.के राय चैधरी ने दीप प्रज्वलित कर किया।

केन्द्र प्रमुख डाॅ.संजय सिंह ने भारत में पुनस्र्थापन एवं वन क्षेत्र बढ़ाने सम्बन्धी अनुसंधान में भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद के प्रयासों के बारे में बताया। केन्द्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ.कुमुद दूबे ने उ.प्र में पर्यावरण पुनर्वास हेतु किए जा रहे कार्यों और तकनीकों से अवगत कराया। केन्द्र प्रमुख डाॅ.संजय सिंह के साथ डाॅ.जी.पी सिन्हा, अपर निदेशक एवं विशिष्ट अतिथि डाॅ.नीरज कुमार भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी व प्रो.कृष्णा मिश्रा भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान प्रयागराज उपस्थित रहे। डाॅ.चैधरी ने भारत में खनन उद्योग हेतु पर्यावरण कानून एवं सावधानियों पर बल दिया। भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के अपर निदेशक डाॅ.जी.पी सिन्हा ने क्षेत्रीय केन्द्र की गतिविधियों से अवगत कराया। केन्द्रीय व्याख्यान वानिकी महाविद्यालय इन्दिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर, छत्तीसगढ़ प्रमुख प्रो.लालजी सिंह ने दिया। कार्यशाला में दो पुस्तकों क्रमशः ‘आंवले की खेती एवं संक्षिप्त’ पुस्तिका का विमोचन किया गया। प्रो.एच.के पाण्डेय, सिविल अभियांत्रिकी विभाग, एमएनएनआईटी ने वर्षा जल संचयन की अवधारणा और तकनीक स्थिति पर बल दिया। प्रो.शिवेश शर्मा, जैव प्रौद्योगिकीय विभाग एमएनएनआईटी ने सूक्ष्मजीव के पुनर्मूल्यांकन में प्रकंद की भूमिका से अवगत कराया। डाॅ.शिवकुमार वैज्ञानिक, भा.व.स ने ओजोन पर के उपचार से प्रतिभागियों को अवगत कराया।
प्रो.अनुपम पाण्डेय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने फजी तकनीक के बारे में बताया कि इससे उपग्रह द्वारा लिए गए चित्रों से प्रयागराज शहरी विस्तार एवं वनस्पति के नुकसान की निगरानी कर सकते हैं। प्रो.मृदुला त्रिपाठी ने हरित नैनो तकनीक के भविष्य पहलुओं से अवगत कराया। प्रो. ए.एस रघुवंशी ने पर्यावरण पुनर्वास में हो रहे सतत विकास के बारे में जानकारी दी। डाॅ. आरती गर्ग ने जैव विविधता संरक्षण पर बल दिया। संचालन केन्द्र की वैज्ञानिक डाॅ.अनुभा श्रीवास्तव ने किया तथा इसके सफल आयोजन में तकनीकी अधिकारी डाॅ. एस.डी शुक्ला व रतन कुमार गुप्ता के निर्देशन में विभिन्न परियोजनाओं में कार्यरत विद्यार्थियों का विशेष सहयोग रहा।

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