योगी@2.0 : उपलब्धियां, उम्मीदें और चुनौतियां ; एक साल, रिकॉर्ड अनेक

योगी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का पहला वर्ष 25 मार्च को पूरा कर रही है। योगी ने 36 साल बाद एक ही मुख्यमंत्री के नेतृत्व में दोबारा सरकार बनाने का रिकॉर्ड तो बनाया ही, पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय संपूर्णानंद के बाद राज्य में सबसे लंबे समय तक लगातार मुख्यमंत्री रहने का कीर्तिमान भी बना दिया। योगी सरकार ने अपने चुनावी वादों को पूरा करने की प्रतिबद्धता भी दिखाई है। सरकारी दावे की मानें तो संकल्प-पत्र के 130 में से 110 वादे या तो पूरे कर दिए गए हैं या अमल के लिए निर्णय हो चुका है। 33.50 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव लाने वाले वैश्विक निवेशक सम्मेलन, जी-20 समिट और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के पर्यटन मंत्रियों की बैठक ने योगी की छवि वैश्विक स्तर की बनाई है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 10 खरब डॉलर तक ले जाने का रोडमैप भी इसी एक वर्ष में तैयार किया गया है। मगर, वर्ष भर उत्सवी माहौल के बावजूद सरकार के लिए सब कुछ हरा-भरा नहीं रहा। सरकार ने इस एक वर्ष में अनेक चुनौतियों का सामना किया है। ऐसी असफलताएं भी हाथ आईं हैं, जिन्होंने बड़ी-बड़ी सफलताओं के रंग को धूमिल कर दिया। कई स्तर पर चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं, जिनके समाधान पर लोगों की नजरें हैं।

योगी@1.0 में अपराधियों और माफिया के खिलाफ कठोर कार्रवाई ने सीएम की बुलडोजर बाबा की छवि बनाई थी। बेहतर शांति व्यवस्था और दंगा मुक्त राज्य ने उनकी छवि को देश भर में चमका दिया था। मगर, प्रयागराज में दिनदहाड़े गोलीबारी और गवाह हत्याकांड ने इस छवि पर आंच पहुंचाई है। मुख्यमंत्री लगातार संवेदनशील शासन-प्रशासन पर जोर देते रहे हैं। पर, कानपुर देहात में मां-बेटी की संदिग्ध परिस्थितियों में जलकर हुई मौत पर अफसरशाही के रवैये ने एहसास कराया कि संवेदनशीलता के पैमाने पर अभी बहुत कुछ करना बाकी है।

आजम का गढ़ ध्वस्त किया, खतौली ने झटका दिया
सरकार ने एक वर्ष में तीन लोकसभा और दो विधानसभा उपचुनावों का सामना किया। इसमें सियासी तौर पर अहम रामपुर व आजमगढ़ लोकसभा (क्रमश: आजम खां व अखिलेश यादव के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद इस्तीफे से रिक्त सीट पर उपचुनाव) तथा रामपुर विधानसभा सीट (आजम को तीन साल की सजा के बाद सदस्यता जाने से रिक्त सीट) जीत ली। मैनपुरी (मुलायम सिंह यादव के निधन से रिक्त सीट) लोकसभा सीट सपा बरकरार रखने व मुजफ्फरनगर की खतौली सीट सपा की सहयोगी रालोद जीतने में सफल रही। इसी बीच स्वार के विधायक अब्दुल्ला आजम (आजम के बेटे) की सदस्यता रद्द हो गई। इसके साथ ही सरकार ने सपा के मुस्लिम चेहरा रहे आजम के सियासी किले को ध्वस्त कर उन्हें परिवार सहित चुनावी परिदृश्य से बाहर ढकेलने जैसी अकल्पनीय सफलता हासिल की। मगर, खतौली विधानसभा क्षेत्र की अपनी जीती हुई सीट की हार ने सरकार के लिए पश्चिम यूपी में नए समीकरण की चिंता बढ़ा दी है। खतौली सीट भाजपा विधायक विक्रम सैनी को मुजफ्फरनगर दंगों में दो साल की सजा होने के कारण खाली हुई थी। नियुक्ति पत्र बंट रहे, लेकिन शिक्षा सेवा चयन आयोग का पता नहीं भाजपा सरकारों पर सरकारी नौकरियां खत्म करने के सियासी आरोप लगते रहे हैं। योगी सरकार ने इसकी तोड़ में मिशन-रोजगार शुरू किया। नियमित अंतराल पर समारोह कर नियुक्ति पत्र वितरित किए जा रहे हैं। मगर, शिक्षा से जुड़ी भर्तियों को एक छत के नीचे शिक्षा सेवा चयन आयोग के जरिए कराने के अपनी पहली ही सरकार के पहल पर अब तक अमल का इंतजार है। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष सहित ज्यादातर सदस्यों के पद खाली हैं। लंबित भर्ती की कार्यवाही ठप पड़ गई है। इसी तरह माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो चुका है। टीजीटी-पीजीटी के चयन के लिए विज्ञापन निकालकर फार्म लेने के बावजूद परीक्षा नहीं हो पाई है। लोगों को पता नहीं चल रहा है कि प्रस्तावित शिक्षा सेवा चयन आयोग आगे की भर्तियां करेगा या उच्चतर शिक्षा आयोग व माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग से पद भरे जाएंगे। लाखों युवाओं के सीधे भविष्य से जुड़े मुद्दों पर सरकारी दुविधा चर्चा का विषय है।

पुरानी पेंशन बन रही बड़ा मुद्दा
कई राज्यों में पुरानी पेंशन बहाल किए जाने के बाद यह मुद्दा भी योगी सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। बिजली कर्मियों के आंदोलन का भी संदेश साफ है कि सरकार और हाईकोर्ट की सख्ती से हड़ताल जरूर टूट गई, लेकिन किसी भी तरह का माहौल बनाने वाला कर्मचारी वर्ग सरकार से खुश नहीं है।

छुट्टा जानवरों से मुश्किलें अब भी बरकरार

सरकारी अमले के दावे हैं कि किसानों से लेकर आम लोगों तक के लिए मुसीबत साबित हो रहे छुट्टा जानवरों की संख्या अब बमुश्किल 50 हजार ही रह गई है। बाकी छुट्टा जानवर गौ संरक्षण स्थलों में पहुंचा दिए गए हैं। मगर, हकीकत ये है कि तमाम किसानों की रातें अब भी फसलों की रखवाली में खराब हो रही हैं। बाड़बंदी पर खर्चे अलग से।

 

मंत्रिमंडल में मनभेद व मतभेद भी उभरे

शासन और प्रशासन के मोर्चे पर ही नहीं, मंत्रिमंडल के स्तर पर भी मनभेद और मतभेद सार्वजनिक तौर पर सामने आने लगे हैं। मसलन, तबादलों में मनमानी और भ्रष्टाचार के आरोप विपक्ष ठीक से भले नहीं लगा सका। पर, तबादलों में ही गड़बड़ी के आरोप में लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद के निजी सचिव के खिलाफ कार्रवाई कर बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने तबादलों पर सवाल उठाए तो अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद को हटाना पड़ा। जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटिक द्वारा अपने ही कैबिनेट मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह के संबंध में लिखे गए पत्र ने भी सरकार की खूब किरकिरी कराई। आबकारी मंत्री निनित अग्रवाल के निजी सचिव भी हटा दिए गए। रही-सही कसर विधानमंडल के बजट सत्र के बाद विधायकों की सामूहिक फोटोग्राफी में पूरी हो गई। सदन में उपस्थित होने के बावजूद दोनों उपमुख्यमंत्री फोटोग्राफी में नहीं पहुंचे। इस पर विपक्ष को चुटकी लेने का मौका मिल गया। जातीय जनगणना के मुद्दे पर मतभेद खुलकर उजागर हुए। सरकार और संगठन इस मुद्दे पर केंद्र के निर्णय पर अमल की बात करते रहे। लेकिन, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य जातीय जनगणना की खुलकर वकालत करते नजर आए। चुनौतियों के बावजूद योगी से और बेहतर राजकाज की उम्मीद पहले वर्ष की ये चुनौतियां योगी सरकार के लिए आगामी वर्षों में परीक्षा के रूप में सामने आ सकती हैं। पहली परीक्षा तो 2024 में होने वाली है, जब लोकसभा चुनाव के वक्त कई चुनौतियां मुद्दे का शक्ल लेती नजर आ सकती हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजे बताएंगे कि योगी ने इन चुनौतियां का कितने बेहतर तरीके से सामना किया है। 2014 में….व 2019 में…सीटें जीतने वाली भाजपा ने 2024 में सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है।

जानकार बताते हैं कि योगी दोबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद पहले कार्यकाल की अपेक्षा ज्यादा मजबूत हुए हैं। योगी@01 में पर्दे के पीछे विरोधी माने जाने वाले कई चेहेरों का राजकाज से सीधे दखल खत्म हो चुका है। या तो वे दायित्व से मुक्त हो गए हैं या बाहर भेज दिए गए हैं। संघ परिवार से लेकर सरकार और संगठन तक में उनके शुभचिंतकों की संख्या बढ़ी है। राजकाज के अनुभव के साथ आत्मविश्वास भी बढ़ा है। सीएम के सलाहकारों की मानें तो योगी अब कड़े और बड़े निर्णय लेने में बिल्कुल भी नहीं हिचकिचाते। उसके नफा-नुकसान और समझाई जाने वाली जन-धारणाओं की ज्यादा परवाह भी नहीं करते हैं। तमाम निर्णय सिर्फ अपने विवेक से ले रहे हैं। ऐसे में आगे उनसे और बेहतर राजकाज की उम्मीद की जा सकती है।

शासन का कार्यवाहक मॉडल
योगी ने अपने राजकाज में एक नए मॉडल को आगे बढ़ाया है। इसे गवर्नेंस का कार्यवाहक मॉडल कह सकते हैं। सीएम ने स्वयं द्वारा नियुक्त नियमित पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल को गत वर्ष मई में हटाकर कार्यवाहक डीजीपी डीएस चौहान को बना दिया। सभी की उम्मीदें थी कि जल्दी ही वह नियमित डीजीपी बन जाएंगे। केंद्र व राज्य में दोनों जगह एक ही पार्टी की सरकार होने के बावजूद दस महीने बीत गए, नियमित डीजीपी की नियुक्ति नहीं हो सकी। चौहान इसी महीने सेवानिवृत्ति होने वाले हैं। डीजी इंटीलीजेंस और डीजीपी अलग-अलग रखने के कई फायदे बताए जाते हैं। ये दोनों मुख्यमंत्री के अलग-अलग दो कान बताए जाते हैं। मगर, योगी ने दोनों ही पदों को एक ही अफसर को सौंपकर नए तरह का प्रयोग किया। प्रयागराज में प्रदेश को हिला देने वाला गवाह हत्याकांड को इंटेलीजेंस फेल्योर की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक माना जा रहा है। इसी तरह अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त (आईआईडीसी) जैसा महत्वपूर्ण पद भी अतिरिक्त प्रभार के हवाले है। कृषि उत्पादन आयुक्त जैसी अहम जिम्मेदारी संभाल रहे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मनोज कुमार सिंह को आईआईडीसी की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है। वे चेयरमैन नोएडा, ग्रेटर नोएडा व पिकप जैसे भारी-भरकम पदों की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं। वह पंचायतीराज और उद्यान-खाद्य प्रसंस्करण विभाग के अपर मुख्य सचिव भी हैं। 2008 बैच की आईएएस अधिकारी सौम्या अग्रवाल और चंद्रभूषण सिंह जनवरी-2024 में सचिव/आयुक्त स्तर के पद पर पदोन्नत होंगे। चंद्रभूषण को लगभग 11 महीने पहले गत जनवरी में अपर आयुक्त परिवहन के पद पर तैनाती देते हुए आयुक्त परिवहन जैसे भारी-भरकम पद की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसी तरह सौम्या अग्रवाल को गत फरवरी में बरेली मंडल का प्रभारी आयुक्त बना दिया गया।

शक्ति के विकेंद्रीकरण का प्रयोग
योगी के पहले कार्यकाल में कहा जाता रहा है कि वह शक्ति के केंद्रीयकरण में विश्वास रखते थे। मगर, दूसरे कार्यकाल में वह बिल्कुल बदले रूप में सामने आए। योगी ने अपने और दोनों उपमुख्यमंत्रियों केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक के बीच बराबर-बराबर 25-25 जिलों का बंटवारा कर लिया। अब सरकार के तीनों मुख्य चेहरे बराबर-बराबर जिलों के राजकाज की मॉनीटरिंग कर रहे हैं। योगी ने मंत्रिसमूहों का गठन कर जिलों का भ्रमण कराया और मंत्रिपरिषद की नियमित बैठक के अलावा लगभग हर महीने मंत्रिमंडल के साथियों के साथ मुलाकात का समय निकाला।

सुधार के लिए बढ़ाए सलाहकार
योगी के पहले कार्यकाल में सिर्फ दो सलाहकार हुआ करते थे। सरकार के शुरुआती दिनों से सबसे पहले मीडिया सलाहकार के रूप में मृत्युंजय कुमार और फिर आर्थिक सलाहकार के रूप में केवी राजू जुड़े थे। दूसरे कार्यकाल में सीएम ने सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अवनीश कुमार अवस्थी को सलाहकार, यूजीसी के पूर्व चेयरमैन डॉ. डीपी सिंह को शिक्षा सलाहकार और जीएन सिंह को खाद्य सलाहकार के रूप में जोड़ा। सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अरविंद कुमार को जल्द ही सलाहकार उद्योग के रूप में जोड़ने की तैयारी है। संगठन से मुख्यमंत्री के विशेष कार्याधिकारी के रूप में पहले कार्यकाल में भेजे गए अभिषेक कौशिक की जगह श्रवण बघेल आ गए हैं तो संजीव सिंह पूर्व की तरह बने हुए हैं।

समय पर निकाय चुनाव से भी चूके
नगर निकाय चुनाव समय पर नहीं कराए जा सके। निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्म होने की वजह से सरकारी प्रशासक बैठाने पड़े। चुनाव न हो पाने के लिए कई तकनीकी व कानूनी वजह बताए जा रहे हैं। मगर, जनता में संदेश गया है कि अफसरशाही जानबूझकर देर से चुनाव तैयारी शुरू करती है, ताकि चुनाव टल सकें और पंचायतों व निकायों के धन को अफसर बिना जनप्रतिनिधियों के हस्तक्षेप खर्च कर सकें।

भूपेंद्र सरकार से संगठन में गए विधायकों को मंत्रिमंडल में फेरबदल का इंतजार
सरकार के पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी पिछले वर्ष अगस्त में ही प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बना दिए गए। तब से मंत्रिमंडल का यह विभाग भी मुख्यमंत्री के पास है। मंत्रिमंडल में आठ लोग और शामिल किए जा सकते हैं। विधायक लंबे समय से इसका इंतजार कर रहे हैं।

उल्लेखनीय काम और उम्मीदें

  • वैश्विक निवेशक सम्मेलन में 33.50 लाख करोड़ रुपये निवेश। ये धरातल पर उतरे तो लगभग 94 लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
  • यूपी के आगरा, लखनऊ, वाराणसी और गौतमबुद्धनगर में जी-20 की बैठकें। इससे प्रदेश के विकास, बुनियादी ढांचे तथा संस्कृति और विरासत को वैश्विक समुदाय के सामने पेश करने का मौका मिला।
  • प्रदेश को 10 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए पीएम के 5-टी टैलेंट, ट्रेडिशन, ट्रेड, टूरिज्म और टेक्नालोजी पर अमल करते हुए नियोजित पहल।
  • एक जिला-एक उत्पाद की तर्ज पर हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज की पहल को रफ्तार, 65 मेडिकल कॉलेज संचालित, 22 निर्माणाधीन।
  • एक मंडल-एक विश्वविद्यालय की पहल। असेवित मंडल देवीपाटन में मां पाटेश्वरी देवी, मिर्जापुर में मां विंध्यवासिनी देवी और मुरादाबाद में नए राज्य विश्वविद्यालय का एलान। कुशीनगर में कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की स्थापना होगी।
  • प्रदेश के समग्र विकास के लिए 10 मुख्य सेक्टर चिह्नित और हर सेक्टर की जिम्मेदारी एक अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी को।
  • बेहतर कानून-व्यवस्था के लिए आगरा, गाजियाबाद और प्रयागराज में भी पुलिस आयुक्त प्रणाली का विस्तार। लखनऊ, गौतमुद्धनगर, कानपुर और वाराणसी में पहले से यह प्रणाली थी।
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को होली व दीपावली में दो निशुल्क एलपीजी सिलिंडर देने का एलान। फिलहाल सरकार बनने के बाद दो होली व एक दीपावली बीती। अब अगली दीपावली का इंतजार।
  • अपराधियों के अवैध निर्माण को बुलडोजर से ढहाने की कार्रवाई जारी है। सरकार कानून-व्यवस्था में सुधार को लेकर लगातार फोकस बनाए हुए है।
  • सरकार ने 2027 तक प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 10 खरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय कर दिया है। इस पर अमल से प्रदेश के तेज आर्थिक विकास की राह खुलेगी।
  • अयोध्या के साथ वाराणसी, मथुरा, विंध्याचल धाम व नैमिषारण्य सहित धार्मिक आस्था से जुड़े स्थलों के विकास का काम तेजी से जारी।
  • नवरात्र में दुर्गाशप्तशती और रामनवमी पर अखंड रामायण पाठ की शुरुआत।
  • प्रदेश के सबसे लंबे गंगा एक्सप्रेसवे, बलिया लिंक एक्सप्रेसवे,
  • गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे व बुंदेलखंड खंड एक्सप्रेसवे डिफेंस कॉरिडोर के कार्यों को आगे बढ़ाने के साथ झांसी लिंक एक्सप्रेसवे व चित्रकूट लिंक
  • एक्सप्रेसवे के रूप में दो नए प्रोजेक्ट का एलान।
  • लखनऊ-हरदोई के बीच 1000 एकड़ भूमि पर 1200 करोड़ की लागत से पीएम-मित्र टेक्सटाइल पार्क की स्थापना।
  • निजी नलकूप से सिंचाई करने वाले किसानों को मुफ्त सिंचाई की सुविधा। बिजली बिल माफ।
  • सरकारी अस्पतालों में जो जांच संभव नहीं है, उसे प्राइवेट में कराने की कार्ड सुविधा।
  • लखनऊ विश्वविद्यालय, गोरखपुर विश्वविद्यालय, व मेरठ विश्वविद्यालय को नैक मूल्यांकन में ए++ रैंक।
  • प्रदेश में राज्य खेल प्राधिकरण गठन का फैसला, खिलाड़ियों को मिलेगा प्रोत्साहन।
  • एक वर्ष में करीब 20 हजार युवाओं को सरकारी नौकरी।
  • गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के दोनों ओर औद्योगिक गलियारा विकसित करने का एलान।
  • महिलाओं को एमएसएमई इकाई की स्थापना पर स्टांप शुल्क में शत-प्रतिशत छूट का एलान।
  • बालिका शिक्षा व स्वावलंबन के लिए प्रदेश के कस्तूरबा बालिका विद्यालयों को इंटर कॉलेज में उच्चीकृत करने की पहल।
  • प्रदेश में 1753 प्राइमरी स्कूलों को पीएम श्री स्कूलों में बदलकर शिक्षण की अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इस प्रोजेक्ट पर करीब 1000 करोड़ रुपये खर्च होगा।

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