यूक्रेन के खारकीव में लगे जोरदार सैनिक झटके से रूस में बढ़ी बेचैनी

यूक्रेन की सेना के जोरदार हमले के कारण खारकीव से सेना लौटाने के रूस के फैसले को लेकर यहां तीखी बेचैनी देखने को मिल रही है। साढ़े छह महीनों से यूक्रेन में चल रही रूस की सैनिक कार्रवाई के दौरान रूसी सेना को लगा यह सबसे तगड़ा झटका है। खारकीव शहर के आसपास रूसी सेना को पीछे धकेलते हुए यूक्रेन ने लगभग तीन हजार वर्ग किलोमीटर इलाके को फिर से अपने कब्जे में ले लिया है।

यहां सैन्य विशेषज्ञों ने कहा है कि रूसी सेना को अपनी कमजोरियों के कारण इस हार का सामना करना पड़ा है। खारकीव इलाके में तैनात रूसी सेना असंगठित थी और उसके पास पूरे साजो-सामान भी नही थे। हमला होने पर वहां मुकाबला करने के बजाय रूसी सेना पीछे हट गई। रूसी सेना को कई ऐसे गांवों से पीछे हटना पड़ा है, जहां उसने पिछले मार्च से कब्जा जमा रखा था।

रूस के रक्षा मंत्रालय ने अपनी सेना का बचाव करते हुए दावा किया है कि दोनेत्स्क इलाके में तैनाती की नई योजना के तहत रूसी सेना खारकीव से लौटी है। लेकिन रूसी विशेषज्ञ इस दलील को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। बल्कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कट्टर समर्थक माने जाने वाले चेचन्या के नेता रमजान कादिरोव ने जिस अंदाज में रूसी सेना की आलोचना की है, उस पर यहां विश्लेषकों को हैरत हुई है। उन्होंने कहा- ‘रूसी रक्षा मंत्रालय से संपर्क कर मैं अपनी राय उसे बताऊंगा। साफ तौर पर गलती हुई है। मुझे आशा है कि इससे रक्षा मंत्रालय सही सबक सीखेगा।’

कादिरोव ने जो कहा है, उससे रूसी सेना में बिखराव का संकेत मिला है। उन्होंने कहा- ‘अगर रूसी सैनिक लौटना नहीं चाहते, तो सेना नहीं लौटती। रूसी सैनिकों को उचित मिलिटरी ट्रेनिंग नहीं मिली हुई है।’ कई रूसी ब्लॉगरों ने भी इस घटना पर बेहद तल्ख लहजे में अपनी प्रतिक्रिया जताई है। दोनेत्स्क पीपुल्स रिपब्लिक मिलिशिया के पूर्व प्रमुख इगोर स्ट्रेलकोव ने कहा है- ‘सैनिक की कमजोर ट्रेनिंग और रूसी वायु सेना की अति सतर्कता के कारण ये सूरत पैदा हुई।’ उनके इस बयान का यह मतलब लगाया गया है कि जब जरूरत पड़ी, तो वायु सेना ने जमीन पर लड़ रहे सैनिकों को उचित सहारा नहीं दिया।

राष्ट्रपति पुतिन समर्थक ब्लॉगर खोल्मोगोरोव ने अपने टेलीग्राम चैनल पर लिखा है कि सैनिकों को एक मशीन गन के साथ जमीनी युद्ध में लगा दिया गया है। कमांडरों ने उन्हें अकेले छोड़ दिया, जिससे सैनिकों को मालूम नहीं था कि उन्हें क्या करना चाहिए। रशियन ऑर्थोडॉक्स नेशनलिस्ट नाम से टेलीग्राम चैनल चलाने वाले एक ब्लॉगर ने लिखा है- ‘हे ईश्वर, हमलों के साथ-साथ पीछे से दिए जा धक्कों से भी सैनिकों की रक्षा करो।’

अब इस बात पर भी कयास लगाए जा रहे हैं कि इस हार का क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति का कार्यालय) कैसे जवाब देगा? कुछ टिप्पणियों में कहा गया है कि राष्ट्रपति पुतिन सीमित सैनिक कार्रवाई को पूरे युद्ध में बदल सकते हैं। सैनिक कार्रवाई के दौरान रूसी सेना को संभल कर हमले करने का आदेश है, ताकि असैनिक आबादी हताहत ना हो। आगे स्थिति बदल सकती है।

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