मेला क्षेत्र में पर्यावरणविद सन्तोष कर रहे जागरूक

प्रयागराज। हम प्रकृति की चिन्ता नहीं करते, यही कारण है प्रकृति ने भी हमारी चिंता छोड़ दी। हमने बिना सोचे अपने संसाधनों का दोहन किया आज उसी का प्रतिफल है कि हमारा पर्यावरण ही अस्वस्थ हो गया है। जब पर्यावरण स्वस्थ नहीं होगा तो मानव कैसे स्वस्थ रह सकता है। मानव ही नहीं धरती पर रहने वाले हर प्रजाति को भुगतना पडे़गा। अगर हम नहीं चेते तो धरती पर मानव का अस्तित्व कोई नहीं बचा जा सकता। आज हमें ऐसे पर्यावरण संरक्षण को लेकर आन्दोलन चलाना होगा।
यह बातें माघ मेला क्षेत्र में महन्त नृत्यगोपाल दास आश्रम में कल्प प्रवास के दौरान पर्यावरणविद सन्तोष बाजपेयी लोगों को भारत से पालीथीन मुक्त संगम तट प्रयागराज में वृहद जन-जागरण अभियान मॉं गंगा की अविरलता एवं निर्मलता, स्वच्छता, जल संचय वृक्षारोपण, जैविक खेती एवं जन कल्याणकारी योजनाओं के प्रति आये हुए भक्तों को बता कर जागरूक कर रहे हैं। उनका कहना है कि आपको अगर फिर से पक्षियों का कलरव सुनना है तो पिंजरा खरीदकर मत लाईये, एक पौधा लगाकर उसे पेड़ बनाईये। अधिक तापमान लू से बचना है तो ग्रीन नेट न लायें, अपने आसपास की ग्रीनरी बचायें। गर्मी में पानी चाहिए तो नगरपालिका के सामने मटके न फोड़े, बरसात में घर की छत के पानी को धरती से जोड़ें। आंधी-तूफान से बचना है तो घर की दीवारें मोटी न बनायें, अपने गाँव के आसपास की पहाड़ी बचायें। प्रतिदिन घर में ज्यादा पानी आये उसके लिए मोटा पाईप मत बिछाइये, अपने-अपने गांव की नदी बचाइये क्योंकि छोटी बड़ी नदियां अपना अस्तित्व खो रहीं हैं। शुद्ध अन्न के लिए केवल धन नहीं चाहिए, गौधन बचाइये, एक गाय सभी को पालनी चाहिए। कुओं का अस्तित्व भी खतरे में है हर गाँव में कम से कम दो कुएं बचाने के लिए सरकार समाज को आगे आने की जरूरत है।
नैनी आईटीआई प्रयागराज में सहायक विधि अधिकारी के पद पर कार्यरत सन्तोष कुमार बाजपेयी ने छोटी नदियों के खोते अस्तित्व पर चिंता जाहिर करते हुए युवाओं को आगे आने का आवाहन किया। कहा कि युवाओं को जोड़ने के लिए प्रकृति सेवा प्रहरी का गठन किया गया है। इनका दायित्व नदियों, कुओं का अस्तित्व बचाने पर्यावरण की संवेदनाओं को बचाना है। अपने आफिस के बाद पूरा समय संगम तट पर अखिल भारतीय पर्यावरण संवेदना जागरूकता अभियान के तहत जीवन बचाओ संकल्प पत्र भरवाते है। श्री बाजपेयी पर्यावरण संवर्द्धन के क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से समर्पित हैं। इनके द्वारा पर्यावरण के लिए कार्य देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहें हैं। जल संरक्षण के लिए जल प्रहरी सम्मान पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा 2002 का इन्द्रा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है। साथ ही सिंगापुर मलेशिया में पर्यावरण सरक्षण के लिए सम्मानित भी किया गया है।

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