संसद के मानसून सत्र में सरकार और विपक्ष कई अहम मुद्दों पर आमने-सामने होंगे। इनमें सरकारी बैंकों के निजीकरण के लिए लाया जाने वाला बैंकिंग कानून संशोधन बिल के अलावा बाल विवाह रोकथाम सहित चार बिल शामिल हैं, जिन्हें असहमति के कारण संसदीय समितियों को भेजा गया था।
विपक्ष इस बार सरकार को भाजपा से निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के द्वारा विवादित टिप्पणी, सेना में भर्ती के लिए शुरू की गई अग्निपथ योजना, केंद्रीय जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग, महंगाई और बेरोजगारी के सवाल पर घेरने की रणनीति बनाई है। सरकार ने भी जवाबी रणनीति तैयार की है। इसी रणनीति के तहत दोनों ओर से लोकसभा में चालीस से अधिक सांसदों ने नूपुर की टिप्पणी, उसके बाद उदयपुर और अमरावती में हिंदू समुदाय के दो लोगों की हत्या से जुड़े सवाल पूछे हैं।
बैंकिंग संशोधन बिल पर भी तकरार संभव
सरकारी बैंकों के निजीकरण के लिए सरकार इस सत्र में बैंकिंग कानून संशोधन बिल लाने की तैयारी में जुटी है। इस बिल के पारित होने के बाद सरकारी बैंकों में अपनी पूरी हिस्सेदारी खत्म करने का रास्ता खुल जायेगा। बैंकिंग कंपनी एक्ट, 1970 के मुताबिक सरकारी बैंकों में सरकार की 51 फीसदी की हिस्सेदारी जरूरी है। सरकार ने इससे पहले प्रस्ताव रखा था कि उसकी हिस्सेदारी 51 की बजाय 26 ही रहेगी और वह भी धीरे-धीरे कम होती जाएगी।
बिजली उपभोक्ताओं को मिलेगी राहत
सरकार बिजली संशोधन बिल के जरिये उपभोक्ताओं को राहत देने की योजना बना रही है। इस बिल के पास होने पर उपभोक्ता मोबाइल उपभोक्ताओं की तरह ही अपना मनपसंद सर्विस प्रोवाइडर चुन सकेंगे। इससे बिजली कंपनियों के बीच टेलिकॉम कंपनियों की तरह ही प्रतिस्पर्धा शुरू होने और इसका लाभ उपभोक्ताओं को मिलने की उम्मीद है। इसी सत्र में सरकार की योजना एंटरप्राइज एंड सर्विस हब के लिए बिल लाने की है। इसके जरिये एसईजेड कानून में बदलाव संभव होगा।
17 जुलाई को सर्वदलीय बैठक
सत्र को सुचारु रूप से चलाने के लिए संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने सत्र से एक दिन पहले 17 जुलाई को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इसी दिन सत्र की रणनीति तय करने के लिए राजग की भी बैठक बुलाई गई है। सर्वदलीय बैठक में पीएम भी शिरकत करेंगे। गौरतलब है कि सत्र के पहले ही दिन 18 जुलाई को राष्ट्रपति का चुनाव भी है।
चार अहम विधेयक लंबित
इस सत्र में बाल विवाह रोकथाम बिल, जैव विविधता बिल, भारतीय अंटार्कटिका बिल और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी बिल पेश होने हैं। विपक्ष की आपत्तियों के बाद इन बिलों को संसदीय समितियों को भेज दिया गया था। इनमें सबसे अहम बाल विवाह रोकथाम बिल है, जिसमें महिलाओं की शादी की न्यूनतम उम्र को 18 साल से बढ़ा कर 21 साल किए जाने का प्रावधान है। इसके लिए इसाई विवाह अधिनियम, पारसी विवाह अधिनियम, मुस्लिम पर्सनल लॉ, विशेष विवाह अधिनियम, हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन करना होगा। शिवसेना और बीजद सहित समूचे विपक्ष ने इस बिल का विरोध किया था। इससे जुड़ी संसदीय समितियों को मेल से 95,000 हजार सुझाव मिले थे, जिनमें 90,000 इस बिल के खिलाफ थे। हालांकि समिति के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे ने इसे साजिश बताया था।