सोलिल्लादा सरदारा… यानी ‘ऐसा नेता जो कभी नहीं हारता। यही साबित किया है कांग्रेस अध्यक्ष पद पर विजयी रहे खरगे ने…। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की बागडोर संभालने वाले खरगे गरीब परिवार में जन्मे और बेहद मुफलिसी में दिन गुजारे। गांधी परिवार के बेहद वफादार वरिष्ठ नेता लगातार 50 सालों से अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को धूल चटाते आ रहे हैं। खरगे कर्नाटक से कांग्रेस के दूसरे राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं।
थरूर को सात गुना वोटों से हराया
24 साल बाद कांग्रेस के गैर-गांधी अध्यक्ष बने कर्नाटक के मुखर जमीनी नेता मापन्ना मल्लिकार्जुन खरगे (80) को गांधी परिवार का बेहद वफादार माना जाता है। अपने क्षेत्र में उन्हें ‘सोलिल्लादा सरदारा’ यानी ‘ऐसा नेता जो कभी नहीं हारता’ कहा जाता है। जो बहुत कुछ सही भी है, 1969 में शुरू हुए करीब 50 साल के राजनीतिक कॅरिअर में लगातार 9 बार विधायक और दो बार सांसद रहने के बाद 2019 के आम चुनाव में उन्हें पहली बार पराजय मिली था। एक बार फिर मौका मिला तो खरगे ने कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर उनसे सात गुना वोट लेकर जीत हासिल की।
खरगे कर्नाटक से कांग्रेस के दूसरे राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं। जगजीवन राम के बाद दलित समुदाय से आने वाले भी वे दूसरे अध्यक्ष हैं। उनकी राजनीतिक शुरुआत गुलबर्गा (आज कलबुर्गी) में यूनियन नेता के रूप में हुई और गुर्मित्कल विधानसभा सीट से लगातार 9 दफा विधायक बनने के साथ कॅरिअर ग्राफ आगे बढ़ता रहा। 1969 में वे कांग्रेस से जुड़े और शहर कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए। 2014 के आमचुनाव में भाजपा व नरेंद्र मोदी की लहर के बावजूद गुलबर्गा की लोकसभा सीट पर उन्होंने 74 हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल की। हालांकि 2019 में भाजपा के उमेश जाधव ने उन्हें 95 हजार से ज्यादा मतों से हराकर जीत का सिलसिला तोड़ा। जून 2020 में उन्हें कर्नाटक से राज्यसभा भेजा गया और नेता प्रतिपक्ष चुना गया। इसी पद से इस्तीफा देकर उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ा।
पर्याप्त अनुभव
2014 और 2019 में लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल का मुखिया होने पर भी उन्हें नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाया जा सका, क्योंकि लोकसभा में पार्टी की सीटें 10 प्रतिशत से कम थी। इससे पहले खरगे ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व की यूपीए सरकार में श्रम व रोजगार, रेलवे, सामाजिक न्याय व सशक्तीकरण मंत्रालय संभाले। वहीं गृह राज्य कर्नाटक में एसएम कृष्णा सरकार में वे गृह मंत्री रहे और कन्नड़ सुपर स्टार राजकुमार के वीरप्पन द्वारा अपहरण, कावेरी जल विवाद जैसे मामलों को देखा।
…पर मुख्यमंत्री नहीं बन सके
खरगे को कई बार जब कर्नाटक के दलित सीएम प्रत्याशी के तौर पर लोगों ने प्रस्तुत किया तो वे सवाल उठाते, ‘आप बार-बार दलित क्यों कहते हैं? ऐसा मत कहिये, मैं खुद को कांग्रेस नेता कहता हूं।’ उन्हें कई बार कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाने की पहली पसंद के तौर पर देखा गया, लेकिन यह पद उन्हें कभी मिला नहीं। 2004 में अपने मित्र धर्मसिंह और 2013 में सिद्धारमैया को मित्रता व पार्टी की एकता के नाते सीएम बनवाया, खुद पद का कोई लालच नहीं रखा।
- कर्नाटक से दूसरे अध्यक्ष : 50 साल के राजनीतिक अनुभव वाले खरगे एस निजलिंगप्पा के बाद पार्टी के दूसरे राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। जगजीवन राम के बाद वह दूसरे दलित नेता हैं जो पार्टी की कमान संभालेंगे।