प्रयागराज। हिन्दुस्तानी एकेडेमी के तत्वावधान में सोमवार की सायं हिन्दुस्तानी एकेडेमी, प्रयागराज के गांधी सभागार में ‘भारतवर्ष: भाषा, नागरिकता और आज के प्रश्न’ विषयक व्याख्यान में प्रो. रजनीश शुक्ल ने कहा कि सेक्यूलर है तो भारत है, भारत से किसी देश का बोध नहीं होता। ये भारत भूमि जो गंगा नहीं, हिमालय नहीं, तो भारत है या नहीं। मनुष्य को दर्शन मात्र से पवित्र कर देने वाली नदी है गंगा। भाषा का कोई प्रकार नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि मनु द्वारा रचित मानवशास्त्र भारत को समझाता है तो मनुष्य को समझना होगा। भारत वर्ष का निवासी होने का प्रमाण मनुष्य का चिंतन है, जो बताया जा सकता है, वह जाना नहीं जा सकता है। मनुष्य होने की प्रक्रिया से गुजरना होता है। जो जैसा जानता है वैसा ही आचरण करता है। मनुष्य की अस्मिता-स्वतंत्रता ही भारतवर्ष है। मनुष्य होना एक विशिष्ट सृष्टि है श्रद्धा जीवन का मूल है। साहित्य, संगीत और कला भाषा के कलेवर हैं जहां वाॅक् का महत्त्व है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता हिन्दुस्तानी एकेडेमी के अध्यक्ष डाॅ. उदय प्रताप सिंह तथा संचालन डाॅ.चितरंजन सिंह ने एवं धन्यवाद ज्ञापन रविनन्दन सिंह ने किया। इस अवसर पर राम नरेश तिवारी ‘पिण्डीवासा’, डाॅ. शान्ति चैधरी, डाॅ. मुरारजी त्रिपाठी, डाॅ. सरिता शुक्ला, डाॅ. ऊषा मिश्रा, डाॅ. रामलखन चैरसिया, डाॅ. रणन्जय सिंह, स्नेह मधुर, विवेक सत्याशु, डाॅ. अभिषेक कुमार केशरवानी, जयंत त्रिपाठी, डाॅ. अच्छे लाल, डाॅ. उमा शर्मा, अंजनी कुमार सिंह, श्रीराम मिश्र ‘तलब जौनपुरी, आदि के साथ शहर के अन्य रचनाकार एवं शोध छात्र भी उपस्थित थे।