भगवान सूर्य के उदय होते ही छंट जाता है संसार का अंधेरा

वैदिक काल से सूर्योपासना अनवरत चली आ रही है। ज्योतिषाचार्य पंडित वागीश्वरी प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि भगवान सूर्य के उदय होते ही संपूर्ण जगत का अंधकार नष्ट हो जाता है और चारों ओर प्रकाश फैल जाता है। सूर्य देवता सृष्टि के महत्वपूर्ण आधार हैं। सूर्य की किरणों को आत्मसात करने से शरीर और मन स्फूर्तिवान होता है। नियमित सूर्य को अर्घ्य देने से हमारी नेतृत्व क्षमता में वृद्धि होती है। बल, तेज, पराक्रम, यश एवं उत्साह बढ़ता है।

सूर्य को जल देने की विधि पर उन्होंने कहा कि सूर्य देव को जल अर्पित करने का सबसे पहला नियम यह है कि उनके उदय होने के एक घंटे के अंदर उनको अर्घ्य देना चाहिए। नियमित क्रियाओं से मुक्त होकर और स्नान करने के बाद ही ऐसा किया जाना चाहिए। सूर्य को जल देते समय आपका मुख पूरब दिशा की ओर ही होना चाहिए। अगर कभी पूरब दिशा की ओर सूर्य नजर ना आएं तब ऐसी स्थिति में उसी दिशा की ओर मुख करके ही जल अर्घ्य दे दें। सूर्य को जल देते समय आप उसमें पुष्प और अक्षत (चावल) मिला सकते हैं। अगर आप सूर्य मंत्र का जाप भी करते रहेंगे तो आपको विशेष लाभ प्राप्त होगा।

उन्होंने बताया कि लाल वस्त्र पहनकर सूर्य को जल देना ज्यादा प्रभावी माना गया है, जल अर्पित करने के बाद धूप, अगबत्ती से पूजा भी करनी चाहिए। अर्घ्य देते समय हाथ सिर से ऊपर होने चाहिए। ऐसा करने से सूर्य की सातों किरणें शरीर पर पड़ती हैं। सूर्य देव को जल अर्पित करने से नवग्रह की भी कृपा रहती है। मनोवांछित फल पाने के लिए प्रतिदिन ‘ऊं ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा’ मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।

तांबे के पात्र का करें प्रयोग 
ज्योतिषाचार्य पंडित वागीश्वरी प्रसाद द्विवेदी बताते हैं कि सूर्य को जल देने के लिए शीशे, प्लास्टिक, चांदी आदि किसी भी धातु के बर्तन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। सूर्य को जल देते समय केवल तांबे के पात्र का ही प्रयोग उचित है। सूर्य को जल अर्पित करने से अन्य ग्रह भी मजबूत होते हैं।

सूर्य अर्घ्य देने की विधि :
1. सर्वप्रथम प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व शुद्ध होकर स्नान करें।
2. इसके बाद उदित होते सूर्य के समक्ष आसन लगाए।
3. आसन पर खड़े होकर तांबे के पात्र में पवित्र जल लें।
4. उस जल में मिश्री भी मिलाएं। मीठा जल चढ़ाने से जन्मकुंडली के दूषित मंगल का उपचार होता है।
5. मंगल शुभ हो तब उसकी शुभता में वृद्धि होती है।
6. जैसे ही पूरब दिशा में सूर्यागमन से पहले नारंगी किरणें प्रस्फूटित होती दिखाई दें, आप दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़ कर इस तरह जल चढ़ाएं कि सूर्य जल चढ़ाते धार से दिखाई दें।
7. प्रात:काल का सूर्य कोमल होता है उसे सीधे देखने से आंखों की ज्योति बढ़ती है।
8. सूर्य को जल धीरे-धीरे इस तरह चढ़ाएं कि जलधारा आसन पर आ गिरे, ना कि जमीन पर।
9. जमीन पर जलधारा गिरने से जल में समाहित सूर्य-ऊर्जा धरती में चली जाएगी और सूर्य अर्घ्य का संपूर्ण लाभ आप नहीं पा सकेंगे।
10. अपने स्थान पर ही तीन बार घूमकर परिक्रमा करें।
11. आसन उठाकर उस स्थान को नमन करें।क्या हैं सूर्य कृपा पाने के फायदे :
– मान्यता के अनुसार यदि आप पर सूर्य की कृपा है तो जीवन और कामकाज में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। साथ ही धन प्राप्ति के योग भी बनते हैं।
– ग्रह दोष के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और घर में सुख शांति का वातावरण बनता है।
– आपके कौशल मे निखार आता है जिससे आप का व्यापार और काम काज अच्छा होने लगता है।

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