बुंदेलखंड के लिए वरदान साबित हो रहा है रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय

झांसी। बुन्देलखण्ड करीब 7-8 वर्षों से सूखे की मार झेल रहा है। बुन्देलखंड के कृषि क्षेत्र को विकसित करने एवं किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए भारत सरकार प्रयासरत रही है। इसी क्रम में भारत सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा बुन्देलखण्ड की भूमि पर 2014 में कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना का निर्णय लिया गया। तभी से रानी लक्ष्मीबाई की कर्मभूमि से विख्यात झाँसी में इसका निर्माण शुरू हो गया। हालांकि यहां कृषि विश्वविद्यालय बनाने का प्रस्ताव प्रथम बार कृषि महानिदेशालय में 2009 में पहुंचा था। तब डॉ. अरविंद कुमार कृषि महानिदेशालय में उपमहानिदेशक के पद पर कार्यरत थे। उन्होंने इस प्रस्ताव को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी।

रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति डाअरविन्द कुमार की नियुक्ति भारत सरकार ने 2014 में की। उन्होंने अपने अथक प्रयास से खाली पड़ी 300 एकड़ भूमि को विश्वविद्यालय को हस्तांतरित कराया। इसी भूमि पर विश्वविद्यालय के अनेक भवनों का निर्माण शुरू हुआ। अब विश्वविद्यालय का भव्य भवन बनकर तैयार हो चुका है। इसके अतिरिक्त छात्रावास, कुलपति आवास आदि भी बनकर तैयार है। पूरा विश्वविद्यालय वातानुकूलित, स्मार्ट क्लास रूम, सीसीटीवी कैमरे एवं वाईफाई जैसी सुविधाओं से लैस है। परिसर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा है ताकि बारिश के एक-एक बूंद पानी को संरक्षित किया जा सके। प्रत्येक इमारत पर सोलर प्लांट स्थापित है। इससे पर्याप्त वैकल्पिक ऊर्जा पैदा की जाती है। शैक्षणिक एवं प्रशासनिक भवन का  प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन प्रस्तावित है। शीघ्र ही इसके मूर्त रूप लेने की संभावना है।

विश्वविद्यालय के अंतर्गत परिसर में ही कृषि महाविद्यालय तथा उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय भी संचालित हैं। यहॉ पर देश के 17 राज्यों के 300 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। विश्वविद्यालय में कृषि में स्नातक, परास्नातक व पीएचडी कराने की सुविधा है।

कृषि संकाय के अधिष्ठाता डॉ. एस के चतुर्वेदी और उद्यानिकी एवं वानिकी संकाय के अधिष्ठाता डॉ. ए के पांडेय हैं। यहॉ पर दो निदेशक कार्यरत हैं। निदेशक, शिक्षा के पद पर डॉ. अनिल कुमार गुप्ता तथा निदेशक, शोध के पद पर डॉ. ए आर शर्मा को नियुक्त किया गया है। इसके अलावा 02 प्राध्यापक, 03 सहायक प्राध्यापक, 20 सहायक अध्यापक, 05 वैज्ञानिक, 18 शिक्षक एवं शोध सहायक, 10 अतिथि शिक्षक कार्य कर रहै है।

कुलपति डॉ. अरविंद कुमार की योजना के अनुसार विश्वविद्यालय का सीधा जुड़ाव खेत-खलिहानों एवं किसानों से होता है। इसके लिए दो स्तरों पर काम होता है। पहला, विभिन्न संकाय के विद्यार्थी, शोधार्थी एवं वैज्ञानिक शिक्षकों के निर्देशन में विभिन्न गांवों में समय-समय पर लंबी अवधि के किसानों के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित करते हैं। वहां किसानों को आधुनिक खेती एवं उद्यानिकी के तरीके सिखाये जाते हैं। इसका लाभ भी क्षेत्र के किसानों को मिलने लगा है। दूसरा, विश्वविद्यालय परिसर में ही किसानों के लिए नि:शुल्क प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाता है। इसमें गांवों से बुलाकर किसानों को कृषि संबंधित जानकारियां दी जाती हैं। विश्वविद्यालय समय-समय पर किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज आदि भी उपलब्ध कराता है। इससे किसानों की आमदनी बढ़ाने में सफलता मिल रही है। यहाँ पर विश्वस्तरीय प्रयोगशाला भी है, जिसमें विद्यार्थिर्यों को विभिन्न तरह का प्रायोगिक ज्ञान भी दिया जा रहा है। प्रयोगशाला में मिट्टी, खाद, यूरिया आदि की जाँच की सुविधा भी उपलब्ध है।

विश्वविद्यालय परिसर में अनार, आॅवला, नींबू, अमरूद जैसे फलदार वृक्ष, एलोवेरा, अश्वगंधा, सर्पगंधा, तुलसी, अर्जुन आदि औषधीय वृक्ष एवं सागौन, शीशम, अंजन, नीम, बबूल आदि वानिकी वृक्ष लगाये गये हैं।

कुलपति डॉ. अरविंद कुमार का कहना है कि विश्वविद्यालय बुंदेलखंड को तिलहन और दलहन के उत्पादन का बहुत बड़ा केंद्र बनाना चाहता है। इस दिशा में बड़े पैमाने पर प्रयास शुरू कर दिया गया है। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा के अनुरूप क्षेत्र के किसानों की आय को कम से कम दोगुनी करना है। उनको उम्मीद है कि इसमें जल्दी ही सफलता मिलेगी।

सुजीत चतुर्वेदी

रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी

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