बंद रहे मंदिरों के कपाट, रंग बिरंगे फूलों से किया गया श्रंृगार

प्रयागराज। वांसतिक नवरात्र के तीसरे दिन शुक्रवार को सनातनधर्मी परिवारों में घर घर जगत जननी मां दुर्गा के तीसरे रूप चन्द्रघण्टेति देवी की विधि विधान से आराधना की गयी। इस दौरान दुर्गासप्तशती के पाठ के अलावा दुर्गा कवच की भी मां के भक्तों ने स्तुति की। मंदिरों में पुजारियों ने ही केवल प्रवेश किया।
मंदिर पहुंचे श्रद्धालुओं को पुजारियों ने बाहर से ही वापस कर दिया। वांसतिक नवरात्र के तीसरे दिन आज मीरापुर स्थित शक्तिपीठ मां ललिता देवी, मां कल्याणी देवी, अलोपशंकरी देवी का चन्द्रघण्टेति स्वरूप में रंग बिरंगे फूलों से पुजारियों ने श्रंृगार किया। मां को तरह तरह के आभूषणों से सजाया गया था। मंदिर प्रबंधक समिति के पदाधिकारी भी भीतर प्रवेश नहीं कर सके। मंदिर पुजारी पंडित शिव मूरत मिश्रा के अनुसार मां को श्वेत पुष्पों से सजाया गया। इसके अलावा अन्य मंदिरों में भी पुजारियों द्वारा ही पूजन अर्चन किया गया। वहीं सनातनधर्मियों ने घरों में ही दुर्गा सप्तशती का पाठ कर मां दुर्गा को याद किया।
लाॅकडाउन होने के चलते मंदिरों के आसपास की गलियां भी पूरी तरह से सूनी रहीं। इक्का दुक्का लोग ही गलियों में निकलते देखे गए। मंदिरों के आसपास गुलजार रहने वाली दुकानें भी बंद रहीं। मंदिर समिति के महामंत्री धीरज नागर बताते हैं कि उनकी स्मृति में इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि नवरात्र में कभी मां का दरबार इस तरह से बंद रहा हो। नवरात्र के तीसरे दिन भी लोगों ने घरों में ही मां की आराधना की। सभी मंदिरों के कपाट कोरोना वायरस महामारी के चलते बंद रखे गए। यही कारण है कि लोगों को अपने घरों
में ही मां की पूजा अर्चना करनी पड़ रही है। घरों में मां की आराधना, दोनों समय मां की आरती कर इस महामारी से मुक्ति पाने के लिए भी प्रार्थना कर रहे हैं। नवरात्र में इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि मंदिरों में भक्त इस मौके पर न पहुंच सकें। हमेशा नवरात्र में मां के मंदिर भक्तों से गुलजार रहा करते थे। फिलहाल लोग घरों में ही मां की आराधना, पूजा, अर्चना कर रहे हैं। बता दें कि इस बार पूजा में भक्तों को पूजन सामग्री आदि भी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पा रही है। जिसमें फल, फूल आदि भी लोग लेने के लिए नहीं निकल पा रहे हैं। लोग किसी तरह से नर्सरी आदि फूल तोड़कर मां की आराधना कर रहे हैं।

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