पाकिस्तान में महिलाओं के अधिकारों पर लगातार पहरा डाला जा रहा है। हाल ही में पाकिस्तान में कबायली परिषद जिरगा ने महिलाओं के पर्यटन और मनोरंजन के लिए सार्वजनिक स्थानों पर जाने से रोक लगा दी है। परिषद की तरफ से इसे अनैतिक और इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ बताया गया है। इतना ही नहीं परिषद ने बकायदा घोषणा की है कि यदि स्थानीय सरकार ने इस निर्णय को लागू नहीं किया तो जिरगा सदस्य इसे खुद लागू कर देंगे।दरअसल, डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह फरमान बाजौर कबायली जिले में अति-रूढ़िवादी सालारजई तहसील की जिरगा कबायली परिषद की तरफ से सुनाया गया है। परिषद ने शनिवार को घोषणा की है कि सरकार इस निर्णय को जल्द से जल्द लागू करे। जिरगा का आयोजन जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) की स्थानीय इकाई द्वारा किया गया था, जो सत्तारूढ़ गठबंधन के मुख्य घटकों में से एक है। इस बैठक में सालारजई तहसील के विभिन्न कबायलियों के वरिष्ठों के अलावा क्षेत्र के कई जेयूआई-एफ नेताओं और धार्मिक हस्तियों ने हिस्सा लिया। इसका आयोजन जेयूआई-एफ जिला नेतृत्व द्वारा किया गया था। जेयूआई-एफ के जिला प्रमुख मौलाना अब्दुर रशीद और अन्य वक्ताओं ने शनिवार को सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जिरगा का उद्देश्य ईद के दौरान उभरे कई मुद्दों पर चर्चा करना और उन्हें शांतिपूर्वक और सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करना था।
जिरगा में शामिल वक्ताओं ने कहा कि यह गौर किया गया है कि पुरुषों के अलावा, कई स्थानीय महिलाएं अपने पति या अन्य रिश्तेदारों के साथ अथवा अकेले ही ईद की छुट्टियों के दौरान विभिन्न पर्यटन एवं पिकनिक स्थलों का दौरा करती हैं। जिरगा में दावा किया गया कि यह ‘इस्लामी सिद्धांतों पर आधारित’ स्थानीय रीति-रिवाजों और परंपराओं के खिलाफ है।
इस दौरान यह बताया गया कि पर्यटन और मनोरंजन के लिए उक्त स्थानों पर महिलाओं का जाना ‘पूरी तरह से अनैतिक और अस्वीकार्य’ है। उन्होंने दावा किया कि इस्लाम और स्थानीय परंपराओं, दोनों में इस तरह की गतिविधियों के लिए कोई जगह नहीं है।
रिपोर्ट के मुताबिक यह कदम ऐसे समय सामने आया है जब विश्व आर्थिक मंच ने कुछ ही दिन पहले जारी अपनी वार्षिक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट में पाकिस्तान को दुनिया के साथ-साथ क्षेत्र में लैंगिक समानता के मामले में दूसरे सबसे खराब देश का स्थान दिया था।