पहले की सरकारों में क्यों पिछड़ती रहीं योजनाएं? पानी, पलायन और पिछड़ेपन पर विपक्ष को घेर गए मोदी

वीरभूमि बुंदेलखंड में प्रधानमंत्री ने तीखे सियासी तीर चलाए। समय से पहले एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण करते हुए उन्होंने उप्र की पांच ऐसी योजनाएं गिना दीं जो तय समय से दशकों बाद तक पूरी नहीं हुईं। यह योजनाएं कांग्रेस, बसपा और सपा सरकारों ने चालू की थीं। इनमें से कुछ को भाजपा सरकार ने पूरा किया। ‘रेवड़ी’ से पानी, पलायन और पिछड़ेपन तक का जिक्र कर उन्होंने पूरे विपक्ष को सवालों के कठघरे में खड़ा कर दिया। इन सवालों के सामने उन्होंने उद्योग, रोजगार, तरक्की के नए अवसरों की संभावनाएं रख दीं। इस तरह 2024 के लिए उन्होंने बुंदेलखंड के सामने अपना एजेंडा पेश कर दिया।

2014 और 2019 में भाजपा ने बुंदेलखंड की चारों लोकसभा सीटें जीती थीं। 2017 के विधानसभा चुनाव में सभी 19 सीटें जीतकर विपक्ष को शौर्यभूमि पर शून्य तक पहुंचा दिया था। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा 19 में से 16 सीटें बचा ले गई। विस की इन तीन जीती सीटों (बबेरू, चित्रकूट और कालपी) के जरिए सपा बुंदेलखंड में आगे कोई बढ़त न ले सके, इसका अभी से ध्यान रखा जा रहा है।

2024 के लोस चुनाव में भाजपा हमेशा की तरह पानी संकट, पलायन और पिछड़ापन मुद्दा न बने, इसके लिए भाजपा सरकारों ने पूरी कोशिश की है। डिफेंस कॉरीडोर, हर घर नल और कई बांधों का काम पूरा करके बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के रूप में संभावनाओं का बड़ा द्वार खोल दिया गया। शनिवार को मोदी ने इस हाईवे के किनारे उद्योगों के विकास, रोजगार और निर्यात बढ़ोत्तरी का खाका खंीच कर युवाओं को लुभाया है।पीएम ने सरयू नहर परियोजना (40 साल), गोरखपुर फर्टीलाइजर (30 साल बंदी), अर्जुन डैम (12 साल), अमेठी रायफल कारखाना, रायबरेली रेल कोच कारखाना का खासतौर पर जिक्र यह जताने के लिए किया कि पिछली सरकारों ने महज योजनाएं शुरू कीं, पूरा करने में उनकी दिलचस्पी थी ही नहीं। यहीं उन्होंने अपनी सरकार के ‘जनकल्याण का इरादा’ और ‘समय की मर्यादा’ को जोड़ दिया। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे तय समय से आठ महीने पहले बन गया। इससे 1132 करोड़ रुपये की बचत हुई। इन आंकड़ों के जरिए ‘इरादा और मर्यादा’ दोनों पैमानों पर उन्होंने बात प्रमाणित भी कर दी। इन्हीं के आधार पर उनका सवाल था कि पहले की सरकारों की योजनाएं क्यों पिछड़ती रहीं?

रोजगार की संभावनाएं युवाओं को दलों के साथ जोड़ देती हैं। मोदी ने इसीलिए एक्सप्रेस वे के किनारे उद्योगों का जाल बिछाने का खाका खींच दिया है। डिफेंस कॉरीडोर के बाद उद्योग विकास का यह दूसरा बड़ा प्रोजेक्ट होगा। किलों को पर्यटन से, खिलौना उद्योग को निर्यात से जोड़ कर उन्होंने रोजगार के दूसरे रास्ते भी युवाओं के सामने पेश किए। ‘यह विकास का बेहतरीन मौका है, इसे गंवाना नहीं है’, यह इशारा खासकर नौजवानों मतदाताओं के लिए ही था। पीएम ने कहा भी, ‘जब हम स्कूल-अस्पताल का लोकार्पण करते हैं तब यह सेवा के साथ मतदाताओं का सम्मान भी होता है।’

रेवड़ी बनाम सामाजिक न्याय

विपक्ष पर वार के पूरे होमवर्क के साथ बोले मोदी ने मुफ्त बिजली-पानी जैसी योजनाओं को रेवड़ी कहा। साथ ही भाजपा सरकार की अनाज, आवास, किसान निधि जैसी योजनाओं को सामाजिक न्याय का हिस्सा का बताया। यह ‘रेवड़ी’ प्रहार से छिड़ने वाली बहस का पहले से तैयार जवाब था, जो पूरी राजनीतिक चतुराई से मोदी पहले ही लोगों के सामने पेश कर गए।

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