नौ दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा और महामृत्युंजय यज्ञ कें आठवें दिन मनमोहक झांकियो एवं संगीतमय भजनों से मंत्र मुग्ध हुये लोग

नारीबारी से प्रमोद बाबू झा,मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के कार्य के लिए  देवाधिदेव भगवान शिव 11वें रूद्रावतार हनुमान जी के रूप में अवतरित हुए। हनुमान जी के पराक्रम की असंख्य गाथाएं प्रचलित है। हनुमान जी ने जिस प्रकार सुग्रीव की राम से मैत्री कराई, फिर वानरों की मदद से असुरों का मर्दन किया।जिसके कारण भगवान श्रीराम उन्हें अपने भाई भरत जैसा स्नेह प्यार करते थे कहते है “तुम मम प्रिय भरत सम भाई” उक्त बातें नवदिवसीय श्री शिव महापुराण कथा एवं महामृत्युंजय यज्ञ कें दौरान राष्ट्रीय संत आचार्य अभिषेक हरिकिंकर जी महराज कथा के आठवें दिन शनिवार  को हनुमत चरित्र का वर्णन करते हुए  बाबा बैजनाथ सावित्री देवी धर्मशाला नारीबारी में कहीं। आगे द्वादश ज्योतिर्लिंग की कथा की महिमा का वर्णन करते हुए अभिषेक कृष्णम् ने कहा। सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम् । उज्जयिन्यां महाकालमोंकारे परमेश्वरम् ॥ केदारं हिमवत्पृष्ठे डाकिन्यां भीमशंकरम्। वाराणस्यां च विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे ॥ वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारुकावने। सेतुबंधे च रामेशं घुश्मेशं च शिवालये ॥ द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्।सर्वपापविनिर्मुक्तः सर्वसिद्धिफलं लभेत् । जो मनुष्य प्रतिदिन प्रातःकाल उठकर इन द्वादश ज्योतिर्लिंगों का पाठ करता है, वह समस्त पापों से मुक्त हो जाते हैं। और उसको समस्त सिद्धियों का फल प्राप्त होता है। जो निष्काम भावना से पाठ करता है। उसे माता के गर्भ से मुक्ति मिल जाती है। और मनुष्य भवसागर से पार उतर जाता है। श्री प्रयागराज धाम सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित कथा में मुख्य यजमान श्री सर्वेश्वर हनुमान मंदिर जी के प्रतिनिधि के रूप में राम कैलाश शुक्ला सपरिवार, बाबा बैजनाथ केसरवानी सपरिवार, समस्त वैष्णव परिवार एवं सभी नगरवासी उपस्थित रहकर कथा श्रवण करते हैं। जिसमें प्रमुख रूप से आचार्य राजीव तिवारी,पुजारी रमेश दास, दिवाकर दास, ऋषि मोदनवाल, सूर्य कांत शुक्ला,दिलीप कुमार चतुर्वेदी,मुनेश्वर शुक्ला, दिनेश शुक्ल,गणेश शुक्ल,सुधीर शुक्ल,राकेश केसरवानी,रामबाबू केसरवानी,प्रदीप केसरवानी पिंटू आदि रहें। रवि तिवारी, शिवशंकर पांडेय, राकेश दुबे, सजंय,राजेश कुमार आदि के संगीतमय भजनों पर भारीं संख्या में उपस्थित नर-नारी नाचतें झूमते पूरा नगर को शिवमय कर दिए।

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