प्रबुद्ध गौतम की पुण्यतिथि को दलित बाल रंगमंच दिवस घोषित करने की मांग
प्रायागराज 17.06.2022, प्रबुद्ध फाउंडेशन के प्रबन्धक/सचिव उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रामबृज गौतम ने रंगमंच का बाल कलाकार अपने दिवंगत पुत्र प्रबुद्ध गौतम की पुण्य तिथि 11 जून को दलित बाल रंगमंच दिवस घोषित किये जाने के बावत केन्द्रीय संस्कृति मंत्री व सचिव संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार को सम्बोधित ज्ञापन निदेशक उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की अनुपस्थिती में व्यक्तिगत सचिय आशीष कुमार श्रीवास्तव को दिया। गौतम ने ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराया कि बहुजन संस्कृति के संरक्षण, सम्बर्धन एवं उसके विकास, उन्नयन और पुनरस्थापत्य के लिये डा. अम्बेडकर वेलफेयर एसोसिएशन (दावा) और प्रबुद्ध फाउंडेशन पिछले 2007 से नगर प्रायागराज की 185 मलिन बस्तियों के 07 से 17 आयु वर्ग के बच्चों के सृजनात्मक कलात्मक और व्यक्तित्व विकास के लिये प्रस्तुतिपरक ग्रीष्मकालीन बहुजन बाल रंग कार्यशाला का आयोजन करती रही चली आ रही है। विगत 2016 की प्रस्तुतिपरक कार्यशाला में रंगमंच का बाल कलाकार प्रबुद्ध गौतम पुत्र रामबृज गौतम की कार्यशाला के दौरान भीषण गर्मी में लूज मोसन से 11 जून 2016 को परिनिर्वाण (मृत्यु) हो जाती है जिसकी स्मृति में 2017 से लगातार 20 मई से 11 जून तक एक बाईस दिवसीय प्रस्तुतिपरक ग्रीष्मकालीन बहुजन बाल रंग कार्यशाला का आयोजन करके कार्यशाला से तैयार नृत्य, गायन व नाटकों की प्रस्तुतियां उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज के प्रेक्षागृह में मंचन कर कार्यशाला का समापन किया जाता रहा है।
दलित साहित्य की तरह दलित रंगमंच को भी स्थापित किया जाय
पूछने पर गौतम ने बताया कि जिस तरह से साहित्य समाज का दर्पण होता है, अनवरत संघर्षो के बाद आज दो दशक से भारत ही नही पूरे विश्व के विश्वविद्यालयों में दलित साहित्य को अन्य साहित्यों की तरह पढ़ाया जा रहा है साथ ही साथ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की मान्यता और सहयोग से प्रतिवर्ष सैकड़ो की संख्या में शोधार्थी दलित साहित्य पर शोध भी कर डाक्ट्रेट की उपाधि लेकर अपना मुकाम हासिल कर रहे है ठीक उसी प्रकार से साहित्य की दूसरी विधा रंगमंच है। भारतीय परिदृश्य में जिसका योगदान देश को आज़ाद कराने से लेकर आज भी सरकारी, गैर-सरकारी अनुदानों के माध्यमो से अपना मुकाम हासिल किया है। रंगमंच के संरक्षण, संबर्धन और उसके विकास के लिये ही संस्कृति मंत्रालय का गठन किया गया है।
11 जून को हिन्दी रंगमंच की तरह दलित बाल रंगमंच घोषित किया जाय
जिस प्रकार से सम्पूर्ण भारत के रंगकर्मी 27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस और 03 अप्रैल को हिन्दी रंगमंच दिवस के रूप में विभिन्न नाट्य प्रस्तुतियों के साथ मनाते है। जिस तरह से हिन्दी साहित्य के साथ दलित साहित्य स्थापित हो चुका है उसी तरह से विश्व रंगमंच और हिन्दी रंगमंच के समनान्तर दलित रंगमंच भी अपने स्थापत्य की ओर अग्रसर है। उत्तर प्रदेश की धरती अंधेर नगरी धम्म धूषण राजा की राजधानी वत्स यानि आज प्रायागराज की गंगा जमुनी तरज़ीह जिसकी अपनी कला साहित्य और संस्कृति के साथ-साथ अपने धार्मिक बैभव के लिये ऐतिहासिक रूप से विश्व स्तर पर जाना जाता है। प्रबुद्ध गौतम की स्मृति में ट्रस्ट उपरोक्त प्रबुद्ध गौतम के नाम पर प्रतिवर्ष बाल रंगमंच के विकास हेतु पांच बाल कलाकारों (तीन महिला और दो पुरुष) को “प्रबुद्ध गौतम बाल रंगमंच सम्मान” देती है। इस सम्मान में प्रत्येक बाल कलाकार को 2000/- दो हजार रुपये नगद, स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया जाता है। ट्रस्ट संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार से मांग करती है कि दलित बाल रंगमंच के संरक्षण, संबर्धन और उसके स्थापत्य हेतु प्रबुद्ध गौतम की पुण्यतिथि 11 जून को बहुजन बाल रंगमंच दिवस घोषित कराये।