निजामुद्दीन से निकाले गये 200 कोरोना वायरस संदिग्ध, आखिर बीमारी छिपाने के पीछे क्या था मकसद

कोरोना वायरस का कहर का प्रकोप  इस समय सारी दुनिया झेल रही है वहीं भारत सरकार ने तमाम सख्ती करके कोरोना के मरीजों के आंकड़ों को बेकाबू होने से रोक रखा है। एक तरफ जहां विदेश यात्रा करके लौटे लोगों ने अपना कोरोना टेस्ट करवाया और खुद को आइसोलेट कर दिया वहीं दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके से बेहद ही शर्मनाक खबर सामने आयी है।
दक्षिण पूर्वी दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी जमात के मरकज में दुनियाभर के दस देशों से यात्रा करके 200 से अधिक लोग आये थे। ये लोग बिना जांच करवाए यहां रह रहे थे। इनमें से कई लोगों के अंदर कोरोना वायरस के लक्षण देखे गये लेकिन इनमें से एक ने भी इस बात की जानकारी नहीं दी। ये सभी हाल ही में भारत लौटे थे। लोगों में कोरोना के लक्षण की बात सामने आने के बाद  200 संदिग्ध लोगों की जांच करवाने के लिए अस्पताल ले जाया गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने निजामुद्दीन में तबलिग ए जमात बैठक के आयोजन के संबंध में एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए है।निजामुद्दीन में रह रहे ये लोग बेखौफ लोगों से मिल रहे थे। 200 लोगों में से बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, मलेशिया, सऊदी अरब, इंग्लैंड और चीन के करीब 100 विदेशी नागरिक शामिल है। ये खबर आने के बाद एक बार फिर ये सवाल खड़े हो गये है कि आखिर इन लोगों ने कोरोना जैसे लक्षण दिखाई पड़ने की बात क्यों छिपाई।

200 में से कुछ लोगों की कोरोना जांच हो हुई हैं जिनमें कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। खबरें ये भी है कि निजामुद्दीन इलाके एक शख्स की मौत भी हो गई है कोरोना के कारण। आखिर इन लोगों ने अपनी पहचान क्यों छिपा कर रखी। आखिर क्या करना चाहते थे ये बाहर से आये लोग।
निजामुद्दीन के एक स्थानीय निवासी ने बताया कि मरकज में करीब 600 लोग थे जिनमें से फिलहाल 200 लोगों को कोरोना संक्रमण जांच के लिए अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया गया है और मरकज के आसपास के इलाके को पूरी तरह सील कर दिया गया है।
इस पूरे इलाके की निगरानी दिल्ली पुलिस ड्रोन से कर रही है। और भी मामले सामले आ सकते हैं।

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