नगर निकाय चुनाव में भाजपा के सहयोगी अपना दल (एस) और निषाद पार्टी भी प्रत्याशी उतारने की तैयारी कर रहे हैं। दोनों दल शहरों में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए नगर पंचायत अध्यक्ष और नगर पालिका परिषद अध्यक्ष के पदों के साथ सभासद की सीटों पर भी हिस्सेदारी मांगेंगे।
अपना दल (एस) अपना दायरा बढ़ाने की तैयारी कर रही है। पार्टी लगातार अलग-अलग कार्यक्रमों के जरिए कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखने के साथ संगठन का विस्तार किया जा रहा है। वहीं निषाद पार्टी भी निषाद, बिंद, केवट, मल्लाह समाज के बीच अपनी मजबूत पकड़ करने में जुटी है। वहीं, सूत्रों के मुताबिक भाजपा नेतृत्व 17 नगर निगमों में किसी को हिस्सेदारी देने के पक्ष में नहीं है। लेकिन सहयोगी दलों ने 200 नगर पालिका परिषद और 545 नगर पंचायतों में हिस्सेदारी मांगने के संकेत दिए हैं।
खासतौर पर पूर्वांचल और बुंदेलखंड के जिलों के लिए यह मांग शुरू हुई है। इसे देखते हुए भाजपा सहयोगी दलों के वोट बैंक को हासिल करने के लिए सीटों का बंटवारा कर भी सकती है। लेकिन इसका निर्णय भाजपा नेतृत्व की हरी झंडी के बाद ही होगा। एक सहयोगी दल के पदाधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर इसकी पुष्टि भी की है।
सहयोगी दलों को मिल सकती हैं मुस्लिम बहुल सीटें
भाजपा सहयोगी दलों को कुछ कमजोर सीटें दे सकती है। इनमें मुस्लिम बहुल सीटें भी शामिल है। सहयोगी दलों के जरिए मुस्लिम प्रत्याशी को मौका दिलाकर समीकरण साधने की रणनीति भी अपनाई जा सकती है। वहीं कुछ सीटों पर पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को सहयोगी दलों के टिकट पर भी चुनाव लड़ाने का विकल्प अपना सकती है।