धार्मिक मान्यताओं,पर्सनल कानूनों के नाम पर सामाजिक सुधार की इस पहल से कोई ना बचा रहे-सरदार पतविंदर सिंह

 नैनी प्रयागराज/ भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा काशी क्षेत्र क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सरदार पतविंदर सिंह ने कहा कि लड़कियों की शादी की उम्र 21 वर्ष होनी चाहिए सरकार का यह  सकारात्मक कदम है,तो उसकी सार्थकता के ऊपर भी विचार करना चाहिए ! मात्र कानून बना देने से क्या होगाl
क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सरदार पतविंदर सिंह ने आगे कहा कि आजादी के बाद देश के हुक्मरानों ने नारा दिया थाlहम दो – हमारे दो ! इस नारे का पालन बड़ी ईमानदारी से इस देश की 70%आबादी ने किया ! कुछ लोगों ने इसे मजाक
समझा और दे दना दन शादी करके दर्जनों बच्चे पैदा करते रहे ! समाज का एक वर्ग सरकार के बनाए कानून को माने और दूसरा वर्ग उस कानून के खिलाफ कार्य करें ? तो फिर इस तरह के कानून को बनाने का औचित्य क्या है ?
क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सरदार पतविंदर सिंह ने आगे कहा कि भारत के सभी नागरिकों के ऊपर यह नियम लागू होना चाहिए कि 21 वर्ष के पहले यदि कोई लड़की की शादी करेगा,तो उसके विरुद्ध सख्त विधिक कार्रवाई की जाएगी इसमें जब तक दंड का प्रावधान नहीं जोड़ा जाएगा ! तब तक इस कानून की कोई सार्थकता नहीं हैl भोले-भाले लोग कानून का पालन करते रहे और कुछ लोग कानून का उल्लंघन करते हुए दर्जनों बच्चे पैदा करके करके आबादी असंतुलन पैदा करते रहेlयह नैसर्गिक न्याय और समाज के नियमों के विपरीत हैlराष्ट्र सर्वोपरि हैl
जनसंख्या नियंत्रण इस समय देश की बहुत बड़ी जरूरत है।एक वर्ग ने इस नियंत्रण का इतनी कड़ाई से पालन किया है कि उस वर्ग के लोगों की आबादी कम हो रही है। दूसरी ओर कुछ लोग कई कई शादी करके दर्जनों बच्चे पैदा करके आबादी का बोझ बढ़ा रहे हैं lउसके बारे में भी सरकार को गंभीरता से सोचना चाहिएlअत्यधिक संतान उत्पन्न करने से उनके लालन-पालन शिक्षा की व्यवस्था सरकार कहां तक करेगी ?तेजी से बढ़ती हुई आबादी के कारण बेरोजगारी महंगाई और अन्य समस्याएं उत्पन्न हो रही है ! सरकार को जनसंख्या नियंत्रण के लिए बिना किसी दबाव के तत्काल कठोर कानून बनाना चाहिएlजो उसका पालन न करें lउसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई होनी चाहिएl तभी इस नए कानून की सार्थकता सिद्ध होगी l
क्षेत्र उपाध्याय सरदार पतविंदर सिंह ने आगे कहा कि सामाजिक सुधार की दिशा में एक और कदम बढ़ा दिया गया यह लैंगिक समानता को तो सुदृढ़ करेगा ही,लड़कियों को पढ़ने लिखने के अधिक अवसर भी प्रदान करेगा इसके नतीजे में वे कहीं अधिक आसानी से अपनी पढ़ाई पूरी करने तथा नौकरी करने में भी सामर्थ होंगीl इसके अलावा इस कदम से मातृ मृत्यु दर कम करने तथा कुपोषण की समस्या पर लगाम लगाने में मदद मिलेगीl
क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सरदार पतविंदर सिंह ने आगे कहा कि इसका कोई औचित्य नहीं की कोई तबका अपनी धार्मिक मान्यताओं अथवा अपने पर्सनल कानूनों के नाम पर सामाजिक सुधार की इस पहल से बचा रहे इसकी सुविधा किसी को भी नहीं दी जानी चाहिए अन्यथा यह धारणा खंडित ही होगी कि लोकतंत्र मे सभी एक जैसे कानूनों से संचालित होते हैं समान नागरिक संहिता का निर्माण किया जाएl

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