खून की कमी होने पर इंसान को ब्लड बैंक से अथवा रक्तदान कराकर खून चढ़ाना और जान बचाना तो आम बात है। एक गाय की जान बचाने दूसरे गाय की खून चढ़ाने का मामला प्रकाश में आया है। मूक मवेशी की जान बचाने पशु चिकित्सकों द्वारा किए गए इस पहल की सर्वत्र सराहना हो रही है। इस क्षेत्र में संभवत: यह पहला मामला है जब किसी गाय को दूसरी गाय का खून चढ़ाया गया है। पशु चिकित्सकों ने गाय की जान बचाने एक नया प्रयोग किया है। सामान्यत: मवेशियों का उपचार तो किया जाता है, खून नहीं चढ़ाया जाता।
लंबे समय से बीमार गाय को दूसरी गाय का खून चढ़ाया गया। खून हॉस्पिटल ब्लड मेडिसीन ग्रुप व वेटनरी विभाग के सहयोग से चढ़ाया गया। इससे गाय की स्थिति पहले से बेहतर है। एनीमिया पीड़ित गाय की जान बचाने का डाक्टरों के मन में संतोष भी है। नगर पंचाायत क्षेत्र निवासी शिव साहू के फार्म हाउस में रविवार सुबह एक जर्सी गाय की तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी। उन्होंने इसकी जानकारी पेंड्रा में पदस्थ पशु चिकित्सक डॉ. डीपी सोनी , डॉ. एनके विश्वकर्मा व अन्य स्टाफ को दी। डॉक्टरों के दल ने जांच में पाया कि गाय को एनीमिया की बीमारी है।
खून की कमी की वजह से उसकी स्थिति खराब होती जा रही है। इस पर पशु विभाग के डॉक्टरों ने हॉस्पिटल ब्लड मेडिसीन ग्रुप के सहयोग से डोनर गाय की तलाश की। कुछ देर बाद ही एक जर्सी गाय से दो यूनिट ब्लड निकाला गया। इसके बाद डॉक्टरों के सहयोग से बीमार गाय को रक्त चढ़ाया गया। कुछ देर बाद ही गाय की स्थिति सुधरने लगी।
डॉक्टरों ने बताया कि बताया कि कई बार इंसानों की तरह जानवरों में भी खून की कमी हो जाती है। इंसानों की तरह गायों में कोई ब्लड ग्रुप नहीं होता। किसी दूसरे पशु का रक्त चढ़ाने से पहले यह जांचा जाता है कि कहीं खून में थक्के तो नहीं जम रहा है और खून बीमार पशु से मैच हो रहा है या नहींबीमार पशु का खून का मिलान कर चढ़ाया जा सकता है। इससे पशु को बचाने में आसानी होता है। – डॉ. डीपी सोनी, पशु चिकित्सक पेंड्रा