रेलवे बोर्ड द्वारा जारी विज्ञापन नीति का किया जोरदार विरोध
देहरादून।ऑल इंडिया स्मॉल एंड मीडियम न्यूज़पेपर संगठनऔर अखिल भारतीय समाचार पत्र संगठन के संयुक्त बैनर तले रेलवे बोर्ड द्वारा जारी मनमानी पूर्ण विज्ञापन नीति के संबंध में एक बैठक की गई । बैठक मे विज्ञापन नीति पर ब्यापक चर्चा की गयी। इस नीति को छोटे और मध्यम पत्रों को पूरी तरह खत्म करने की साज़िश बताया गया तथा आवश्यक कार्यवाही हेतु पीसीआई से पत्र पत्रिकाओं के हित में हस्तक्षेप करने को पत्र प्रेषित किया गया।
अशोक कुमार नवरत्न पूर्व सदस्य, भारतीय प्रेस परिषद
महासचिव, ऑल इंडिया स्मॉल एण्ड मीडियम न्यूजपेपर्स फेडरेशन, नई दिल्ली द्वारा
न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई चेयरमैन भारतीय प्रेस परिषद सूचना भवन, लोदी रोड, को प्रेषित पत्र में कहा गया है कि भारतीय रेलवे द्वारा अखबारों को शासकीय विज्ञापनों को जारी किए जाने के लिए मनमानी विज्ञापन नीति घोषित की है । इस नीति से छोटे व मझौले अखबारों को CBC (DAVP) की मनमानी कार्यवाहियों से विज्ञापन प्राप्त नहीं हो पाएंगे । गौरतलब है कि माननीय उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली द्वारा कॉमन कॉज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में 13 मई 2015 को न्यायमूर्ति श्री रंजन गोगोई व पिनाकी चंद्र घोष ने सभी समाचार पत्रों को समानता के साथ विज्ञापन जारी करने को कहा गया था । उच्चाधिकारियों को माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय की प्रतियां दी जा चुकी है । नियमानुसार CBC (DAVP) में सूचीबद्ध सभी छोटे व मझौले अखबारों को भी नियमित रूप से विज्ञापन जारी किए जाने चाहिए थे । किंतु काफी लंबे समय से CBC (DAVP) द्वारा चुनिंदा बड़े अखबारों को ही विज्ञापन जारी करके, विज्ञापन जारी करने में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए दिशा निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है । ऑल इंडिया स्मॉल एण्ड मीडियम न्यूजपेपर्स फेडरेशन, नई दिल्ली द्वारा अनेकों बार पत्र लिखकर माननीय उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देश के अनुसार विज्ञापन जारी किए जाने का अनुरोध किया जा चुका है ।
समाचार पत्र रेल विभाग द्वारा किए जा रहे कार्य उपलब्धि आदि की जानकारी अपने समाचार पत्र में प्रमुखता से प्रकाशित कर जन जन तक पहुंचाने का कार्य करते हैं। पूरे भारतवर्ष में लगभग 70% लघु मध्यम समाचार पत्र है जो सरकार प्रशासन विभाग विशेषकर रेल विभाग द्वारा किए जा रहे जन उपयोगी कार्यो की जानकारी प्रमुखता से आम जनमानस तक पहुंचते हैं । रेलवे अपनी-आप ने प्रचार प्रसार की प्रमुखता के आधार पर समाचार पत्रों को टेंडर और प्रदर्शन विज्ञापन देता रहता है। भारतीय रेलवे को विज्ञापन जारी करने में विज्ञापन एजेंसियों की भूमिका को समाप्त करना ही था तो रेलवे पूर्व की भांति जनसंपर्क कार्यालय सारे विज्ञापन सीधे ही जारी कर सकते थे। रेलवे के पास पूरे संसाधन उपलब्ध है । CBC (DAVP) में भारी अनियमितताएं बरती जाती है । उनके पास मानव शक्ति का भी अभाव है । CBC (DAVP) की मनमानी से रेलवे की छवि को आघात पहुंचने के साथ ही उसे व्यवसायिक नुकसान होने की भी संभावना होगी । उचित तो यह रहेगा कि रेलवे जिस प्रकार से IRCTC जैसे कई निगम बनाएं है उसी तरीके से भारतीय रेलवे को विज्ञापन जारी करने एवं प्रचार के लिए अपनी एक कम्पनी बना देनी चाहिए । इससे भारतीय रेलवे को राजस्व की प्राप्ति भी होगी । साथ ही काफी लोगों को रोजगार देने में सरकार की नीति भी क्रियान्वित होगी । CBC (DAVP) की नीतियों से देश भर के छोटे व मझौले अखबारों की दिन पर दिन खराब ही हुई है । DAVP की मनमानी कार्यवाहियों के खिलाफ अनेकों याचिकाएं विभिन्न माननीय उच्च न्यायालयों में विचाराधीन है । तब ऐसी परिस्थिति में CBC (DAVP) भारतीय रेलवे के विज्ञापन को जारी करने का काम दिया जाना उचित नहीं है।बैठक में राष्ट्रीय महासचिव अशोक कुमार नवरत्न, डॉ दीनदयाल मित्तल, डॉ पवन सहयोगी, अखिलेश चंद शुक्ला, आसिफ जाफरी विक्रांत, आशीष शर्मा,देवेंद्र त्रिपाठी, नरेंद्र परवाना, विवेक कुमार, विजेन्द्र गोस्वामी ,आदि लोगों ने भाग लिया