मुक्त विश्वविद्यालय में सप्त दिवसीय कार्यशाला का समापन
योग से आनंदमय स्थिति अनुभूत होती है – प्रोफेसर सीमा सिंह
प्रयागराज।
योग दीर्घायु जीवन के लिए अमृततुल्य औषधि है। स्वास्थ्य, संतुलन एवं सहयोग तीनों प्रक्रियाओं को योग आगे बढ़ाता है। उक्त उदगार विश्व योग दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज में मुख्य अतिथि प्रोफेसर ईश्वर शरण विश्वकर्मा, अध्यक्ष, उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश प्रयागराज ने मंगलवार को व्यक्त किए।
प्रोफेसर विश्वकर्मा ने विश्व योग दिवस एवं सप्त दिवसीय योग कार्यशाला के समापन अवसर पर कहा कि आज सभी को योगमय जीवन जीना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत वर्ष एक ऐसा देश है जिस को ऋषियों ने तपोबल से हजारों वर्षों की तपस्या के बाद प्राप्त किया है। सारे भूखंडों में केवल यही वह क्षेत्र है जो अत्यंत पवित्र है, विश्व कल्याणकारी है और सारी रिद्धियां सिद्धियां प्रदान करने में सक्षम है। प्रोफेसर विश्वकर्मा ने जोर देते हुए कहा कि वह समय दूर नहीं है जब संयुक्त राष्ट्र संघ इसको भी स्वीकार कर लेगा। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया ने आज योग को अंगीकार एवं स्वीकार किया है। शिक्षा परिसरों में जब ऐसे कार्यक्रम होते हैं तो आत्मबल, शक्ति एवं ऊर्जा का संचार होता है।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने कहा कि योग आनंदमय स्थिति है। योग ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न कर देता है कि हम सकारात्मक दिशा में सोचना प्रारंभ कर देते हैं। इसलिए योग की प्रक्रिया हमें आनंदित करती हैं। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि जहां सकारात्मकता होगी वहां बहुत प्रगति होगी। कुलपति प्रोफेसर सिंह ने योग दिवस पर उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि सभी आनंदित रहें, खुश रहें, सुखी रहें और विश्वविद्यालय तथा देश की सेवा में अपना अमूल्य योगदान प्रस्तुत करें।
योग कार्यशाला के समन्वयक प्रोफेसर गिरिजा शंकर शुक्ल ने प्रारंभ में विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि मानवता के लिए योग की थीम का मुख्य उद्देश्य मानवता की कल्याणकारी प्रक्रिया में योग की उपादेयता है। योग मानव जीवन को सरल, सरस और सुदृढ़ स्वरूप देने में एक वरदान साबित होता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में नियमित रूप से योगाभ्यास में निरंतर रहना चाहिए, जिससे आरोग्य की प्राप्ति हो।
इस अवसर पर त्रिवेणी सामुदायिक केंद्र में योगाभ्यास क्रिया का प्रशिक्षण योग प्रशिक्षक अमित कुमार सिंह ने दिया। श्री सिंह ने सूक्ष्म व्यायाम, आसन, प्राणायाम, ध्यान जैसी महत्वपूर्ण यौगिक क्रियाओं को कराने के साथ ही उनके लाभ और सावधानियों के बारे में बताया।
सप्त दिवसीय योग कार्यशाला का संचालन डॉ दीप्ति श्रीवास्तव तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ मीरा पाल ने किया। प्रारंभ में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के योग दिवस पर मैसूर से संबोधन का विश्वविद्यालय में सजीव प्रसारण किया गया। इस अवसर पर कुलसचिव प्रोफेसर पीपी दुबे, प्रोफेसर आशुतोष गुप्ता, प्रोफेसर सत्यपाल तिवारी, प्रोफेसर पी के अस्टालिन, आचार्य, सह आचार्य, सहायक आचार्य, कर्मचारी एवं छात्र छात्राएं आदि उपस्थित रहे।
विश्वविद्यालय में सात दिनों तक चली योग कार्यशाला में प्रोफेसर जी एस शुक्ल,प्रोफेसर विनोद कुमार गुप्त, डॉ मीरा पाल, डॉ अतुल कुमार मिश्र एवं श्री देश दीपक ने योग का वैज्ञानिक दृष्टिकोण, कर्मयोग, यौगिक आहार का महत्व, वसुधैव कुटुंबकम तथा यज्ञ का बहुआयामी प्रभाव, आदि पर व्याख्यान प्रस्तुत किये।