दिवाली के अगले दिन तड़के ही इस बार सूर्य ग्रहण के सूतक लग जाएंगे। इसलिए इस त्योहार का असर दिवाली पूजा पर भी पड़ेगा। सूर्य ग्रहण के सूतक 25 अक्टूबर को सुबह 4 बजे लग जाएंगे, इसलिए इस तिथि में मंदिर पूजा से जुड़ा कोई भी काम नहीं किया जा सकेगा। 25 अक्टूबर का दिन खाली माना जाएगा। इस दिन पितरों का दान आदि किया जाएगा। ग्रहण के बाद ही स्नान और दान फलदायी रहेगा। मंगलवार 25 अक्टूबर को भौमवती अमावस्या है। दरअसल इस बार दिवाली के दिन शाम को अमावस्या तिथि शुरू हो रही है, इसलिए ग्रहण वाले दिन ग्रहण काल खत्म होने पर ही अमावस्या तिथि का स्नान और दान किया जाएगा। अब बात आती है दिवाली पूजा की। दिवाली की पूजा के बाद अगली सुबह से ग्रहण का सूतक काल शुरू हो जाता है, जिसमें मंदिरों के पट बंद रहते हैं, इसलिए माता लक्ष्मी के पूजन की चौकी भी ग्रहण काल के समाप्त होने के बाद ही उठाई जाएगी। 25 अक्टूबर की शाम 4 बजे से सूर्य ग्रहण शुरू होगा। शाम 6.25 बजे ग्रहण खत्म होगा। सूर्य ग्रहण देश के उत्तरी और पश्चिमी हिस्सों में आसानी से देखा जा सकेगा। देश के पूर्वी हिस्सों में ये ग्रहण दिख नहीं पाएगा।
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