दरभंगा कृषकों का कृषक प्रशिक्षण-सह-परिभ्रमण कार्यक्रम का समापन

प्रयागराज।
प्रसार निदेशालय, शुआट्स द्वारा जनपद दरभंगा, बिहार के चयनित कृषकों का कृषि तकनीकी प्रबन्ध अभिकरण (आत्मा) घटक का पांच दिवसीय राज्य के बाहर कृषक प्रशिक्षण-सह-परिभ्रमण कार्यक्रम का समापन किया गया। निदेशक प्रसार डा० प्रवीन चरन ने कृषकों को श्रीअन्न की महत्ता एवं उपयोगिता के बारे में मार्गदर्शित करते हुए कहा कि श्रीअन्न फसलें स्वास्थ्यवर्धक, पौष्टिकता से भरपूर होती हैं तथा अन्य अनाजों की तुलना में इसमें बेहतर सूक्ष्म पोषक तत्व एवं बायोएक्टिव फ्लेवोनायड पाये जाते हैं। मुख्य अतिथि प्रति कुलपति डा० विश्वरूप मेहरा ने कृषकों को वैज्ञानिक उत्पादन एवं मूल्य संवर्द्धन के प्रति प्रोत्साहित करते हुए कहा कि हमारे देश में एशिया का लगभग 80 प्रतिशत और विश्व का 20 प्रतिशत मोटा अनाज पैदा होता है इन फसलों में रोग भी कम लगते हैं तथा कीटनाशकों का उपयोग भी न के बराबर होता है चूँकि यह असिंचित भूमि पर आसानी से हो सकती है अतः मांग बढ़ने पर भारतवर्ष में इसकी पैदावार कई गुना बढ़ायी जा सकती है। उन्होनें विश्वविद्यालय द्वारा संचालित बांस संर्वद्धन परियोजना एवं ड्रैगन फ्रूट की खेती एवं लाभ के विषय में कृषकों के समक्ष चर्चा की। महिला उत्प्रेरक श्रीमती मीना नेथन, वैज्ञानिक डा० रामपाल सिंह, प्रशिक्षण समन्वयक डा० मनीष कुमार केसरवानी ने भी ने प्रशिक्षणार्थी कृषकों को तकनीकी जानकारी दी।
समापन अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र, प्रयागराज के वरिष्ठ वैज्ञानिक व हेड डा० मुकेश पी० मसीह, प्रसार निदेशालय के समन्वयक डा० अरूण यादव तथा वैज्ञानिकगण डा० योगेश चन्द्र श्रीवास्तव, डा० सरवेन्द्र कुमार, डा० शैलेन्द्र कुमार सिंह एवं डा० मदन सेन सिंह आदि सम्मिलित रहे। किसानों को प्रमाण-पत्र, प्रशिक्षण साहित्य एवं बैग इत्यादि का वितरण किया गया।

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