(ऋषि कपूर-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमण्डल में डा. महेन्द्र सिंह की योग्यता और क्षमता का पूरी तरह सदुपयोग करने के लिए केन्द्र सरकार की तर्ज पर बनाये गये नए विभाग-जलशक्ति विभाग का उन्हें दायित्व सौंपा गया। इस विभाग कोे नाम दिया गया जलशक्ति विभाग। डा0 महेन्द्र सिंह को पहले स्वतंत्र रूप से राज्यमंत्री बनाया गया था। बाद में उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर जलशक्ति विभाग का दायित्व सौंपा गया। पानी से संबंधित सभी विभाग इसी मंत्रालय के अधीन कर दिये गये। इससे पूर्व सिंचाई मंत्रालय हुआ करता था। प्रदेश में सिंचाई मंत्रालय को समाप्त कर दिया गया। ऐसे सभी विभाग जलशक्ति विभाग में समाहित कर दिये गये हैं। डा0 महेन्द्र सिंह इस मंत्रालय को संभाल रहे हैं। इससे पूर्व उनके पास ग्राम्य विकास, समग्र ग्राम्य विकास, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग था। इन विभागों के वे स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री हुआ करते थे और योगी सरकार की शुरुआत में सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का कार्य बहुत तेजी से शुरू हुआ था।
डा0 महेन्द्र सिंह के काम करने का तरीका एकदम अलग है। वे इस तरह की रणनीति बनाते हैं जिससे सिर्फ काम त्वरित होते हैं। योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री का पद संभाला था और भाजपा ने वादा किया था कि प्रदेश की सड़कें गड्ढा मुक्त होंगी। यह दायित्व उस समय महेन्द्र सिंह के कंधों पर था। डा0 महेन्द्र सिंह ने प्रदेश सरकार की मंशा को दोहराते हुए लोकनिर्माण विभाग समेत सड़क निर्माण से जुड़े सभी विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया था कि 15 जून तक सभी सड़कों को गड्ढा मुक्त कराया जाए। इसी तरह ग्राम्य विकास विभाग से जुड़े अधिकारियों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा था कि सरकार की मंशा के अनुरूप प्रत्येक गांव में स्वीकृत योजनाओं का एक होर्डिंग स्थापित करना सुनिश्चित किया जाए। इसमें योजनाओं की लागत, कार्य के पूर्णता की तिथि और कार्य कराने वाले विभाग का नाम सहित योजना का पूर्ण विवरण अंकित हो। कार्य की पारदर्शिता का यह अच्छा उदाहरण बना था और लोगों ने देखा कि प्रदेश की ज्यादातर सड़के गड्ढा मुक्त हो गयीं और ग्राम्य विकास की योजनाएं भी पारदर्शिता के साथ चल रही थीं। प्रदेश की जनता ने देखा कि 80 फीसद कार्य हुआ है। यह किसी भी सरकार की बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी।
डा0 महेन्द्र सिंह ने 15 जून से पूर्व सड़कों का अवलोकन भी किया था। उन्होंने बैठक करके सक्षम अधिकारी से मनरेगा से जाॅब कार्डों के बारे में जानकारी ली साथ ही खण्ड विकास अधिकारियों से प्रधानमंत्री आवास योजना, आदर्श ग्राम योजना, समग्र ग्राम विकास योजना सहित पंचायत स्तर से गांव स्तर तक की समस्त योजनाओं की प्रगति का लेखा-जोखा पूछा था। डा. महेन्द्र सिंह ने अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने कार्यालयों में समय से उपस्थित रहने का निर्देश दिया और बायोमेट्री मशीन से उपस्थिति शुरू करवायी। इसी के बाद प्रदेश सरकार ने सिटीजन चार्टर लागू किया था अर्थात कौन सा कार्य कितने दिनों में होना है, यह नियम बना। सरकारी कार्यालयों में फाइलों का डम्प लगा रहता था। देखते ही देखते फाइल निस्तारण का कार्य तेजी से होने लगा था। ग्राम विकास मंत्रालय को इसी के चलते पहला नंबर मिला था।
व्यक्ति की क्षमता और कार्यकुशलता खुद ही उसकी वकालत करती है। इसीलिए अगस्त 2019 में जब योगी आदित्यनाथ की सरकार के मंत्रिमंडल का पहला विस्तार हुआ तब डा0 महेन्द्र सिंह को प्रमोट करके कैबिनेट मंत्री बनाया गया। इतना ही नहीं केन्द्र सरकार की तर्ज पर राज्य में जल शक्ति मंत्रालय बनाया गया और उसका दायित्व उन्हें सौंपा गया जो काफी महत्वपूर्ण मंत्रालय माना जाता है।
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में जन्में डा0 महेन्द्र सिंह ने भारतीय जनता युवा मोर्चा से राजनीति शुरू की। उनके भाषण काफी लोकप्रिय होेते थे। उन्हें भाजपा में शामिल करके असम का प्रभारी बनाया गया और उस असम में जहां कांग्रेस वर्षों से सत्ता पर काबिज थी वहां 2016 के विधानसभा चुनाव में डा0 महेन्द्र सिंह ने भाजपा को सत्ता पर काबिज कराने
में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह
पार्टी के राष्ट्रीय सचिव रहे हैं। उनके राजनीतिक अनुभव को देखते हुए प्रदेश में नये बनाए गए हाइड्रो पावर डिपार्टमेंट (जल शक्ति विभाग) का कैबिनेट मंत्री बनाया गया। इसके तहत सिंचाई विभाग, पेयजल योजना और नदियों को स्वच्छ करने का कार्य शामिल है। उत्तर प्रदेश में जब इस महत्वपूर्ण मंत्रालय का दायित्व डा0 महेन्द्र प्रताप सिंह को सौंपा गया तब यह सवाल उठा था कि पूर्व की भांति क्या यहां भी वे उसी तरह की सफलता प्राप्त कर सकेंगे। यहां पर ध्यान देने की बात है कि डा0 महेन्द्र प्रताप सिंह के पास पूर्व में ग्राम्य विकास विभाग था और इस विभाग में इतना अच्छा कार्य हुआ कि इस विभाग को नम्बर वन होने का सौभाग्य मिला था। डा0 महेन्द्र प्रताप ने ट्रांसफर-पोस्टिंग में पारदर्शिता दिखाई थी। डा0 महेन्द्र प्रताप सिंह के इस नये मंत्रालय में सिंचाई विभाग भी शामिल है जहां ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर नकारात्मक खबरें मिल रही थीं लेकिन महेन्द्र प्रताप ने कहा कि अब तक यहां जितने भी खेल चल रहे थे वे सभी बंद हो जाएंगे, अब सिर्फ एक खेल होगा और वह खेल है जनता की आवश्यकताओं को प्राथमिकता देना। डा0 महेन्द्र ने कहा कि मैं कोशिश करूंगा कि हमारे जनप्रिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी जी और लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हर खेत को पानी और हर घर को पानी देने का जो संकल्प जताया है उसे पूरा किया जा सके। डा0 महेन्द्र ने कहा था कि जब जननायक मोदी जी का मार्गदर्शन मिल रहा है, योगी आदित्यनाथ जी का आशीर्वाद साथ में है तो कोई भी चुनौती आसान हो जाती है। इसीलिए हर घर को नल से पानी पहुंचाने का कार्य आसानी से हो रहा है। सिंचाई की सुविधा का लगातार विस्तार किया गया है। पानी के संकट से विशेष रूप से जूझ रहे बुंदेलखण्ड के हर घर में राज्य सरकार पाइप से पानी पहुंचाने की दिशा में कार्य कर रही है।
डा0 महेन्द्र सिंह ने नये बने जलशक्ति मंत्रालय का कार्यभार ग्रहण करने से पहले जल के देवता वरुण देव की पूजा की थी। इसके बाद ही बुंदेलखण्ड में हर घर में पाइप से पानी पहुंचाने के लिए 9 हजार करोड़ रुपये से योजना शुरू की गयी थी। बुंदेलखण्ड की तर्ज पर पूर्वांचल और अवध क्षेत्र में भी पाइपलाइन से शुद्ध पानी पहुंचाने की घोषणा की गयी। उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरुआत की गयी और इसके लिए करोड़ों का बजट बनाया गया। पानी की बचत करने वाली इस बूंद-बूंद सिंचाई के लिए केन्द्र और राज्य सरकार 67 फीसद तक अनुदान देती हैं। इसे ओवर हेड सिंचाई कहते हैं। डा0 महेन्द्र सिंह ने इस विधि को अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाने का प्रयास किया। इस प्रकार डा0 महेन्द्र सिंह ने जहां एक तरफ लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया वहीं सिंचाई के लिए सुविधाएं भी दीं हैं। नदियों को जोड़ने और उनकी स्वच्छता पर भी युद्ध स्तर पर कार्य हो रहा है। (हिफी)