भारतीय टीम ने चटगांव टेस्ट में बांग्लादेश पर मजबूत पकड़ बना ली है। बांग्लादेश की टीम को आखिरी दिन यानी पांचवें दिन 241 रन बनाने हैं, जबकि उसके चार विकेट शेष हैं। भारत ने 513 रन का लक्ष्य रखा था। आखिरी दिन भारतीय स्पिनर बांग्लादेश के बल्लेबाजों पर कहर बनकर टूट सकते हैं। हालांकि, इस टेस्ट में जिस गेंदबाज ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है, वह हैं कुलदीप यादव। कुलदीप ने पांच विकेट लेकर बांग्लादेश की पहली पारी को 150 रन पर समेट दिया था। यह उनके टेस्ट करियर का तीसरा फाइव विकेट हॉल रहा।
पांच विकेट पर ट्रेंड करने लगे कुलदीप
क्या है चाइनामैन बॉलिंग?
कैसे पड़ा ‘चाइनमैन’ नाम?
ऐसा माना जाता है कि इसकी शुरुआत 1920 के दशक में हो चुकी थी। इस गेंदबाजी के असली जनक रॉय किलनर और मॉरिस लेलैंड को माना जाता है। दोनों अपने करियर में एक समय इंग्लिश काउंटी क्लब यॉर्कशायर के लिए खेल चुके हैं। किलनर प्रथम विश्व युद्ध से पहले यॉर्कशायर से खेलते थे। वह कभी-कभी गेंदबाजी करते थे और ऑर्थोडॉक्स स्पिन करते थे।हालांकि, कुछ खिलाड़ियों द्वारा प्रोत्साहित करने के बाद किलनर ने स्पिन गेंदबाजी को गंभीरता से लेना शुरू किया। इसके बाद वह इंग्लैंड के लिए भी महान गेंदबाज बने। मैच के दौरान किलनर अंगुलियों के साथ-साथ कलाई का भी उपयोग करते थे।
1929 में नेविल कार्डस नाम के एक खिलाड़ी ने बताया था कि किलनर ने उनसे कभी कहा था कि गेंदबाजी में बाएं हाथ से गुगली बॉलिंग एक नई खोज होने वाली है। किलनर की जीवनी जिसे मिक पोप ने लिखा किलनर के भाई और यॉर्कशायर में उनके साथी नॉर्मन ने बताया कि किलनर ने ही असल में ‘चाइनामैन’ शैली की खोज की थी। 1928 में किलनर का निधन हुआ था।इसके बाद किलनर के साथी लेलैंड ने 1931 में यॉर्कशायर के लिए अपनी गेंदबाजी से खूब नाम कमाया था। वह तब लेफ्ट हैंड रिस्ट स्पिन और गुगली फेंकते थे। इस शैली से उन्हें गेंदबाजी करने में खूब मजा आता था। लेलैंड के 1967 में निधन के बाद उनके विजडन ओबिट्यूरी (मृत्यूलेख) में दर्ज लिखा गया- बिल बोवेस के अनुसार, मौरिस ने दावा किया था कि वह ‘चाइनामैन’ शब्द के लिए जिम्मेदार थे। क्योंकि उन्हें गेंदबाजी करने के कम अवसर मिलते थे। उन्होंने सामान्य और प्राकृतिक लेग ब्रेक के बजाय कभी-कभी बाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए ऑफ ब्रेक गेंदबाजी करना शुरू किया था। जब भी दो बल्लेबाजों को आउट करना मुश्किल होता था या कुछ अलग करना होता था तो यॉर्कशायर टीम का कोई खिलाड़ी या कप्तान उनसे कहता था- मौरिस लेलैंड, अपनी उस चाइनीज स्टाइल में गेंदबाजी करो।
एक और दिलचस्प कहानी भी है प्रसिद्ध
चीनी मूल के खिलाड़ी एलिस पस एचोंग लेफ्ट आर्म स्पिनर थे और उस समय वेस्टइंडीज का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। एचोंग ने अपनी एक गेंद पर इंग्लैंड के दाएं हाथ के बल्लेबाज वाल्टर राबिंस को इस कदर चौंकाया था कि वह स्टंप आउट हो गए थे। पवेलियन लौटते समय राबिंस ने अंपायर से कहा था कि इस ‘चाइनामैन’ ने उन्हें चकमा दिया।
इस घटना का जिक्र पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर चिनी बेनो ने एक कार्यक्रम में किया था। उसके बाद से ही ऐसी गेंदबाजी को चाइनामैन कहा जाने लगा। इसके बाद से जिस बाएं हाथ के स्पिनर ने भी कलाई की मदद से गेंद को टर्न कराया, उसे चाइनामैन बॉलर कहा जाने लगा। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ‘चाइनामैन’ गेंदबाज कभी-कभी ही नजर आते हैं। ऐसे में कुलदीप यादव ने इस अनूठी कला से पूरी दुनिया का ध्यान बरबस अपनी तरफ खींच लिया है। कुलदीप को चाइनामैन गेंदबाजी में लय हासिल करने के लिए खासा संघर्ष करना पड़ा था। कुलदीप यादव पहले बाएं हाथ के तेज गेंदबाज बनना चाहते थे, लेकिन उनके कोच ने उन्हें स्पिन गेंदबाजी में करियर बनाने की सलाह दी जो अब इस युवा गेंदबाज के लिए बिल्कुल सटीक साबित हो रही है।अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ‘चाइनामैन’ गेंदबाज कभी-कभी ही नजर आते हैं। ऐसे में कुलदीप यादव ने इस अनूठी कला से पूरी दुनिया का ध्यान बरबस अपनी तरफ खींच लिया है। कुलदीप को चाइनामैन गेंदबाजी में लय हासिल करने के लिए खासा संघर्ष करना पड़ा था। कुलदीप यादव पहले बाएं हाथ के तेज गेंदबाज बनना चाहते थे, लेकिन उनके कोच ने उन्हें स्पिन गेंदबाजी में करियर बनाने की सलाह दी जो अब इस युवा गेंदबाज के लिए बिल्कुल सटीक साबित हो रही है।