जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का जश्न मनाने का त्यौहार है। भगवान कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है, जो धर्म में गिरावट और अधर्म में वृद्धि होने पर ब्रह्मांडीय व्यवस्था को बहाल करने के लिए पृथ्वी पर अवतार लेते हैं। भगवान कृष्ण का अवतार हिंदू धर्म के चार युगों में से तीसरे युग द्वापर युग के दौरान हुआ था। जन्माष्टमी का त्यौहार उपवास रखकर, भक्ति गीत गाकर, कृष्ण के जीवन के दृश्यों का अभिनय करके तथा मध्य रात्रि में प्रार्थना करके मनाया जाता है, जिसे उनके जन्म का समय माना जाता है।
ज्योतिष के मुताबिक, जन्माष्टमी हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह त्यौहार 26 अगस्त को है। इस बार उपाय करने का शुभ समय 25 अगस्त को रात्रि 9:20 बजे से शुरू होकर 26 अगस्त को रात्रि 10:34 बजे तक रहेगा।
जन्माष्टमी के दिन इन उपायों को जरुर करें
ऐसा माना जाता है कि पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दम्पतियों को इस दिन भगवान कृष्ण की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए, इससे उनकी मनोकामना पूर्ण होती है। इस शुभ दिन पर भगवान कृष्ण को सुंदर वस्त्र पहनाए जाते हैं तथा भक्तगण उनके पसंदीदा व्यंजन का भोग लगाते हैं।
इस साल एक अद्भुत संयोग बनने जा रहा है। जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण के बाल रूप लड्डू गोपाल के जन्म का जश्न मनाने के लिए पारंपरिक रूप से खीरा काटा जाता है। इस साल इस समारोह में चांदी के सिक्के का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा, लड्डू गोपाल के आगमन पर शंख बजाना चाहिए, जो भगवान विष्णु की पूजा का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
इन चीजों को भी फॉलों करें
-पूजा कक्ष को ताजे फूलों, दीयों और भगवान कृष्ण की पर्यावरण-अनुकूल मूर्तियों से सजाएं।
– लड्डू गोपाल को हाथ से बनी मालाओं से सजाएं।
– पुरुषों के लिए धोती और कुर्ता और महिलाओं के लिए साड़ी जैसे पारंपरिक कपड़े पहनें।
-भगवान कृष्ण के लिए भोग और माखन तथा मिठाइयों सहित अन्य विशेष व्यंजन तैयार करें।
– भगवद गीता या कृष्ण के जीवन और शिक्षाओं से संबंधित अन्य साहित्य के अंश पढ़ें।
– हरे कृष्ण मंत्र या भगवान कृष्ण को समर्पित अन्य मंत्रों का जाप करें।
-भगवान कृष्ण के जन्म के समय मध्य रात्रि तक जागते रहें।
– जैसे-जैसे शुभ समय नजदीक आता है, प्रार्थना, ध्यान और भक्ति संगीत में शामिल हों।