गुरु का स्थान ईश्वर से भी : श्रेष्ठ बांके बिहारी पांडेय

प्रयागराज । विद्या भारती से संबद्ध काशी प्रांत के रानी रेवती देवी सरस्वती विद्या निकेतन इंटर कॉलेज राजापुर, प्रयागराज के प्रांगण में ग्रीष्मावकाश के पश्चात विद्यालय के प्रथम दिवस पर छात्र-छात्राओं का स्वागत तिलक ,आरती एवं पुष्प वर्षा करने के साथ ही साथ गुरु पूर्णिमा का उत्सव बड़े ही धूमधाम से भजनों की प्रस्तुति के साथ मनाया गया ।
      कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधानाचार्य बांके बिहारी पांडे ने वेदव्यास एवं मां सरस्वती जी के चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्ज्वलन करके किया l तत्पश्चात विद्यालय की छात्राओं यशी तिवारी, स्वाति सिंह, दिव्या अग्रहरी, किंजल ,सिमरन, स्वेच्छा, प्रगति गुप्ता एवं प्राची गुप्ता ने संगीताचार्य मनोज गुप्ता के निर्देशन में गुरु महिमा पर आधारित भजनों “गुरुदेव मेरे दाता मुझको ऐसा वर दो” तथा “सागर से भी गहरा बंदे गुरुदेव का प्यार है” प्रस्तुत करके गुरु की महत्ता का वर्णन करते हुए सब को भाव विभोर कर दिया l
      इसी क्रम में वरिष्ठ आचार्य सत्यप्रकाश पांडे ने गुरु की महत्ता पर बल देते हुए गुरु और शिष्य के संबंधों की व्याख्या की, उन्होंने शबरी और मतंग ऋषि का उदाहरण देकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया l अंत में प्रधानाचार्य बांके बिहारी पांडे ने गुरु पूर्णिमा के महत्व को बताते हुए महर्षि वेदव्यास के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला तथा गुरु को ईश्वर से भी श्रेष्ठ बताते हुए कहा कि गुरु भक्त बालक किस प्रकार अपने गुरु की आज्ञा मानकर रात भर खेत की मेड को बचाने के लिए लेटा रहता है l शास्त्रों के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. सबसे पहले वेदों की शिक्षा महर्षि वेदव्यास ने ही दी थी, इसलिए हिन्दू धर्म में उन्हें प्रथम गुरु का दर्जा दिया गया है. यही वजह है कि गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. ये दिन गुरुओं के पूजन को समर्पित है l

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