दाने दाने को मोहताज पाकिस्तान वैसे तो अपने मुल्के को चलाने के लिए कभी आईएमएफ तो कभी वर्ल्ड बैंक के पास कटोरा लेकर मदद की भीख लेने चला जाता है। अगर उधर से कुछ खास मदद न मिली तो अपने मुल्क के कई जगहों को चीन के पास गिरवी रखने और उसके एवज में मोटा कर्ज लेने में लग जाता है। आपने वो कहावत तो खूब सुनी होगी कि घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने अब इसी को पाकिस्तान सच साबित करने में लगा है। फूटा कटोरा लेकर दुनिया से भीख मांगने वाला पाकिस्तान चांद पर पहुंचने का सपना देख रहा है।शहबाज चांद पर नया पाकिस्तान बसाने का ख्वाब देख रहे हैं। लेकिन पाकिस्तान की जनता को शहबाज के इस मून मिशन पर भरोसा नहीं है। खबर ये है कि पाकिस्तान में चीन की मदद से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर रोवर भेजने का ऐलान किया है। पाकिस्तान और चीन ने मिलकर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर रोवर भेजने का ऐलान किया है। इस रोवर को पाकिस्तान की स्पेस एजेंसी सुब्रार्को बना रही है। ये दावा वही कंगाल पाकिस्तान कर रहा है जिसकी जेब में मुल्क का राशन पानी मंगवाने के लिए भी पूरे पैसे नहीं हैं। इसलिए पाकिस्तानी आवाम भी शहबाज का मजाक बना रही है। चांद के सपने देख रहे शहबाज को पाकिस्तानी आवाम कोस रही है। पाकिस्तान में लोगों को मून मिशन नहीं बल्कि रोटी और बिरयानी चाहिए। शहबाज ने हवा हवाई सपना दिखाकर चांद पर जाने की बात की। लेकिन पाकिस्तानियों को अपने पीएम के दावे पर जरा भी भरोसा नहीं है।
पाकिस्तान के दावे के मुताबिक शहबाज ने चंद्रमा पर रोवर भेजने के लिए चीन की अंतरिक्ष एजेंसी के साथ समझौता किया है। इस समझौते पर पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने दस्तखत किए हैं। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस समझौते के तहत, पाकिस्तान का पहला स्वदेशी रूप से विकसित चंद्र रोवर चीन के चांग-8 मिशन का हिस्सा होगा, जो 2028 में लॉन्च होने वाला है। इसका मतलब है कि पाकिस्तान अपने रोवर को स्वतंत्र रूप से चंद्रमा पर नहीं भेजेगा – इसके बजाय, चीन इसे वहां पहुंचाएगा।
क्या है चीन का चांग’ई-8 मिशन?
चीन की अंतरिक्ष एजेंसी, सीएनएसए (चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) ने ऑन-साइट वैज्ञानिक अनुसंधान करने, नई अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का सत्यापन करने और चंद्र सतह का मानचित्रण करने के लक्ष्य के साथ चांग’ई-8 मिशन को डिजाइन किया है। इस मिशन में पाकिस्तान की भागीदारी को देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम और अंतर्राष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान स्टेशन (ILRS) पहल में इसके योगदान के लिए एक प्रमुख मील का पत्थर माना जाता है। हालाँकि पाकिस्तान ने भारत से पहले अपनी अंतरिक्ष एजेंसी (SUPARCO) की स्थापना की, लेकिन उसने अभी तक अंतरिक्ष अन्वेषण में कोई महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल नहीं की है।