क्या टूट पाएगा इलाहाबाद में अमिताभ और फूलपुर में केशव का रिकार्ड

जिले में सबसे बड़ी जीत का रिकार्ड उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नाम है। फूलपुर लोकसभा सीट से 2014 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रहे केशव ने रिकार्ड तीन लाख आठ हजार 308 मतों से जीत हासिल की थी। वहीं यहां की इलाहाबाद सीट पर 1984 में अमिताभ बच्चन ने एक लाख 87 हजार 795 मतों के अंतर से पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा को मात दी थी। इन दोनों सीट के लिए मंगलवार को होने जा रही मतगणना पर इन रिकार्डों पर भी नजर रहेगी।

फूलपुर लोकसभा सीट से देश के पहले प्रधानमंत्री पं.जवाहर लाल नेहरू भी यहां से तीन बार सांसद रहे हैं। 1962 के चुनाव में पं.नेहरू को 61.62 (118931) प्रतिशत वोट मिले थे। जबकि, उनके खिलाफ सोशलिस्ट पार्टी के राम मनोहर लोहिया मैदान में थे। डॉ.लोहिया को 28.17 (54360) प्रतिशत वोट मिले थे। अब तक के चुनाव में पं.नेहरू को सबसे अधिक मत प्रतिशत मिले हैं लेकिन मतों के अंतर से जीत का रिकार्ड केशव के नाम है। 2014 के लोकसभा चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य को कुल पांच लाख तीन हजार 564 वोट मिले थे, जो कुल पड़े मतों का 52.44 फीसदी है। उन्होंने अपने निकटतम प्रत्याशी सपा के धर्मराज सिंह पटेल को तीन लाख आठ हजार 308 मतों से मात दी थी।

वहीं देश के दूसरे प्रधानमंत्री देने वाले लाल बहादुर शास्त्री की सीट इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र की बात करें तो मिले मत प्रतिशत तथा जीत के अंतर दोनों ही लिहाज से रिकार्ड अमिताभ बच्चन के नाम है। 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे अमिताभ बच्चन को दो लाख 97 हजार 461 वोट मिले थे, जो कुल मत प्रतिशत का 68.31 फीसदी रहा। उन्होंने एलकेडी के हेमवती नंदन बहुगुणा जोशी को एक लाख 87 हजार 795 मतों के अंतर से हराया था।

खास यह कि हार-जीत के अंतर के लिहाज से दूसरे नंबर पर हेमवती नंदन बहुगुणा की बेटी डॉ.रीता बहुगुणा जोशी का नाम आता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में डॉ.रीता को चार लाख 94 हजार 454 वोट मिले थे, जो कुल पड़े मतों का 55.62 प्रतिशत है। उन्होंने सपा के राजेंद्र सिंह पटेल को एक लाख 84 हजार 274 मतों के अंतर से हराया था। इस तरह से वह करीब साढ़े तीन हजार मतों से अतिताभ बच्चन का रिकार्ड तोड़ने से पीछे रह गई थीं।

इलाहाबाद में 40 साल बाद कांग्रेस को जीत की उम्मीद

देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की इलाहाबाद संसदीय सीट पर कांग्रेस को 40 वर्षों से जीत का इंतजार है। पार्टी को इस बार काफी उम्म्मीदें भी हैं। यदि ऐसा होता है तो 1984 में अमिताभ बच्चन के बाद कांग्रेस को जीत नसीब होगी। अन्यथा, विगत कई चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवार जमान तक भी नहीं बचा पाए हैं।

1984 में अमिताभ बच्चन ने रिकार्ड मतों से जीत हासिल की थी लेकिन इसके बाद 1988 के उपचुनाव तथा 1989 में पार्टी दूसरे स्थान पर रही। इसके बाद 1991 के बाद से तो कांग्रेस उम्मीदवार जमानत तक नहीं बचा पाए। 1991 से 2019 के बीच आठ बार लोकसभा चुनाव हुए लेकिन सिर्फ 1999 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहीं रीता बहुगुणा जोशी जमानत बचा पाईं थीं। इनके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे नंद गोपाल गुप्ता नंदी को ही एक लाख दो हजार 453 वोट मिले थे लेकिन वह भी जमानत नहीं बचा पाए थे। अन्य चुनावों में तो कांग्रेस प्रत्याशी 50 हजार मतों के लिए भी जूझते नजर आए। खास यह कि डॉ.रीता और नंदी दोनों नेता इस समय भाजपा में हैं।

हालांकि, कांग्रेस के लिए इस बार कहानी कुछ अलग है। सपा के साथ गठबंधन के तहत यह सीट कांग्रेस के पास आई और पार्टी ने क्षेत्र के दिग्गज नेता रेवती रमण सिंह के पुत्र एवं पूर्व मंत्री रहे उज्जवल रमण सिंह को मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा ने पूर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी के पुत्र नीरज त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाया है। इन दोनों प्रत्याशियों के बीच काफी नजदीकी मुकाबला बताया जा रहा है और 40 वर्षों बाद कांग्रेस में जीत की उम्मीद जगी है।

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