भारतीय टीम ने शनिवार को फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड को हराकर पांचवीं बार अंडर-19 विश्व कप जीता था। विश्व कप के दूसरे मैच से पहले ढुल समेत भारतीय टीम के पांच खिलाड़ी कोविड पाजिटिव हो गए थे। इसके बावजूद टीम ने खिताब जीता। यश ने सेमीफाइनल में आस्ट्रेलिया के खिलाफ शतक जमाया। उन्होंने कहा कि कोविड भी हमारा हौसला नहीं तोड़ पाया। भारतीय टीम मंगलवार को भारत पहुंचेगी। वेस्टइंडीज से भारत लौटते समय एम्सटर्डम एयरपोर्ट पर थोड़ा समय मिलने पर यश ढुल ने अभिषेक त्रिपाठी से बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश-
-आपके पिता ने कहा कि आप कम बोलते हैं। विश्व कप खिताब जीतने के बाद काफी इंटरव्यू देने पड़ेंगे?
-जी, कम बोलना ही अच्छा होता है। मेरी शुरू से ही आदत है। बस काम की बात ही बोलता हूं।
-ट्राफी हाथ में आने के बाद यश में क्या बदलाव आया?
-मैं तो वैसा ही हूं। व्यक्ति को कभी बदलना नहीं चाहिए। मेरा ध्यान हमेशा क्रिकेट पर ही केंद्रित रहेगा और अब दोगुनी मेहनत करनी पड़ेगी। सीनियर क्रिकेट में जगह बनाने के लिए अपने आपको और बेहतर करना होगा। फिटनेस पर अब ज्यादा काम करूंगा।
एनसीए प्रमुख वीवीएस लक्ष्मण आप लोगों के साथ थे। खिताब जीतने के बाद उन्होंने क्या कहा?
-लक्ष्मण सर ने कहा कि जिस दिन आपने यह ट्राफी पकड़ ली, उस दिन से यह इतिहास हो गया। अब यह खिताब पुरानी बात हो गई। इसे अब भूल जाओ, इसे दिमाग में रखोगे तो आगे नहीं खेल पाओगे। अब आगे के क्रिकेट पर ध्यान लगाओ। जहां तक जश्न की बात है तो वह हमने मैदान में मनाया। हमने यही फैसला किया कि हमें जमीन पर रहना है और अपने होश संभालकर रखने हैं।
-आपके पिता भी सफलता को ज्यादा सिर नहीं चढ़ाते?
-हमारे यहां शुरू से ही ऐसा माहौल रहा है कि हर चीज पर ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है। सफलता को सिर पर नहीं चढ़ाते। शुरू से मैच खेलता आ रहा हूं। कितनी जीत हासिल की है, कितने मैच जिताए हैं। सब मैच एक जैसे लगते हैं, सब जीत एक जैसी लगती है।
-आगे का लक्ष्य, आइपीएल की टीम या टेस्ट टीम? क्या अपने खेल में भी कोई बदलाव करेंगे?-नहीं मैं अपने खेल को सामान्य ही रखूंगा। मैं वनडे और टी-20 दोनों में हावी होकर खेलता हूं। हर फार्मेट में अलग तरह का खेल रखना होता है। आइपीएल में मेरी पसंदीदा टीम दिल्ली कैपिटल्स है लेकिन असली खेल तो टेस्ट है। टेस्ट खेलने में अलग मजा आता है। हर पारी के बाद खेल बदलता है। जब दो-तीन विकेट गिर जाते हैं, उसके बाद बड़ी साझेदारी करके टीम को ऊपर ले जाना एक अलग तरह का सुकून देता है।
फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड ने टास जीतकर बल्लेबाजी चुनी, तब दिमाग में क्या आया?
-अगर हम टास जीतते तो हम भी पहले बल्लेबाजी ही करते। हमारी टीम की बल्लेबाजी में काफी गहराई थी इसलिए जब मैं टास करने गया तो दोनों परिस्थितियों को सोचकर गया था। हमारे पास काफी आलराउंडर थे तो हम 260 रन के स्कोर के लक्ष्य का पीछा करने में समर्थ थे।
-हालांकि बीच में मैच फंस गया था?
-(हंसते हुए) वह तो हम लोगों ने ही फंसा लिया था लेकिन बाद में सब ठीक हो गया। राज बावा और रवि कुमार ने शानदार प्रदर्शन किया। राज अच्छी बाउंसर फेंकते हैं, साथ में बढि़या बल्लेबाजी भी करते हैं। रवि की स्विंग विपक्षी टीमों के लिए मुश्किल बनी रही। हमारी पूरी टीम में एक से एक हीरे हैं।
-टीम के किसी खिलाड़ी के चेहरे पर दबाव नजर नहीं आ रहा था?
-टीम बांडिंग सबसे बड़ी चीज है। हमारी टीम में यह सबसे अच्छी है जिससे हम अच्छी से अच्छी टीम को हर सकते हैं। टीम में काफी पाजिटिविटी थी।
-हां, आपके साथ और भी कई खिलाड़ी कोविड पाजिटिव हो गए थे?
-हां, यह तो सही है लेकिन कोई घबराने वाली बात नहीं थी। कोविड भी हमारा हौसला नहीं तोड़ पाया। वीवीएस सर रोज वीडियो काल करके हालचाल लेते थे। बाकी खिलाड़ी भी सबको काल करते थे इसलिए क्वारंटाइन में भी अकेलापन महसूस ही नहीं हुआ।
-आपकी कप्तानी की काफी तारीफ हो रही है, कहां से सीखी?मैं बाल भवन स्कूल (दिल्ली के द्वारका स्थित) और चांद खन्ना क्लब से क्रिकेट खेलता था। कोच राजेश नागर सर ने शुरू से मुझे कप्तानी कराई। जूनियर क्रिकेट में तो मैं कप्तानी करता ही था लेकिन जब सीनियरों के खिलाफ खेलता था तब भी मुझसे कप्तानी कराई गई। इससे मुझे बहुत फायदा मिला। जब भारतीय टीम से जुड़ा तो वहां सिखाया गया कि कैसे खुद को शांत रखना है। माइंडसेट के बारे में बताया गया।