कोरोना से बिल्कुल अब डरो ना

कोरोना से बिल्कुल अब डरो ना

घरपर ही रहकर सब कुछ करोना।
कोरोना से फिर , कुछ ना डरो ना।
कर्तव्य का पाठ, कुछ तो पढ़ो ना।
डर कर सहम कर,अब ना मरो ना।
बस हिम्मत से आगे,आगे बढ़ो ना।
किस्मत का क्यों है ? बस ये रोना।
अब  हाथ पे हाथ  धर यों  बैठोना।
कला साहित्य की साधना करो ना।
चैन की मुरलिया की धुन छेड़ो ना।
संगीत लहरियों की  लय जोड़ो ना।
यों करने की कुछ  तो  ठान लो ना।
कोरोना  की  ऐसे  कमर  तोड़ो ना।
ना हाथ मिलाओ, ना गले मिलो ना।
प्रेम से  सभी  को  नमस्ते  करो  ना।
दुम दबा भागेगा  कुछ ऐसे करो ना।
भागेगा नहीं तो  मरेगा ऐसे कोरोना।
कुछ दिन धैर्य  से  और  काम लोना।
सड़क पे ऐसे तो न निकला करो ना।
हम हिम्मत न हारेंगे  अब मान लोना।
मारेंगे ऐसे तो क्यों न  मरेगा कोरोना।
हम जीतेंगे हमेशा  बस  जान लो ना।
कवि रवीन्द्र से कुछ अब सीख लोना।
मिलकर दुश्मन से अब लड़ा करो ना।
देश का दुश्मन है सबसे बड़ा कोरोना।
मारेंगे ऐसे तो क्यों न मरेगा कोरोना।
ये  अब  मरा , तब  मरा  कोरोना।

कवि रवीन्द्र कुशवाहा

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