हिंदी पंचांग के अनुसार, 14 अप्रैल को सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे। इसके लिए 14 अप्रैल को मेष संक्रांति है। सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास समाप्त हो जाएगा। इस दिन कृषि पर्व बैसाखी भी है। इस मौके पर गुरुद्वारों को भव्य तरीके से सजाया जाता है। साथ ही भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। कुल मिलाकर कहें तो बैसाखी पर उत्सव जैसा माहौल रहता है। वहीं, मेष संक्रांति पर स्नान-दान का विधान है। इसके लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान कर पूजा उपासना करते हैं। इसके पश्चात अपने सामर्थ्य से दान करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि संक्रांति के दिन स्नान-दान करने से व्यक्ति के समस्त पाप कट जाते हैं। साथ ही सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अगर आप भी सूर्य देव की कृपा पाना चाहते हैं, तो बैसाखी के दिन इन चीजों का जरूर दान करें। आइए जानते हैं-
बैसाखी के दिन दान पुण्य करने से व्यक्ति को अमोघ फल प्राप्त होता है। इस दिन आप जथा शक्ति तथा भक्ति के अनुसार दान करें। इस दिन तरबूजा, खरबूजा, पंखा, घड़ा, शीतल पेय, शर्बत आदि चीजों का दान कर सकते हैं। वहीं, पूरे महीने में गुड़, शक्कर, शीतल पेय, शर्बत, आम पन्ना, कच्चे आम का दान करना शुभ फलदायी होता है।
-बिहार में 14 अप्रैल को सत्तुआन है। इस दिन सत्तू खाने की प्रथा है। इसके अगले दिन जुड़ शीतल मनाया जाता है। इसके लिए बैसाखी के दिन सत्तू का दान करना भी पुण्यकारी है। बैसाखी के दिन जौ का दान स्वर्ण दान के समतुल्य होता है। इस दिन सत्तू और जौ का दान करने से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है।बैसाखी के दिन मेष संक्रांति है। आसान शब्दों में कहें तो इस दिन सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे। अतः 14 अप्रैल से मेष संक्रांति है। सनातन धर्म में संक्रांति के दिन स्नान-ध्यान, पूजा, जप, तप और दान का विधान है। इसके लिए मेष संक्रांति पर गेंहू, मसूर की दाल, चावल, गुड़ समेत लाल रंग युक्त चीजों (लाल रंग के कपड़े, लाल मिठाई) का दान करें। इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं।