कुंभ संक्रांति के दिन इस शुभ मुहूर्त में करें भगवान सूर्य की उपासना

त्येक ग्रह एक अवधि के बाद राशि परिवर्तन करते हैं। लेकिन जब सूर्य देव गोचर करते हैं तो उसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है। सूर्य गोचर से सभी 12 राशियों पर प्रभाव पड़ता है। हिंदू पंचांग के अनुसार 13 फरवरी 2022, सोमवार (Kumbh Sankranti Date 2023) के दिन सूर्य देव मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। जिस वजह से इसे कुंभ संक्रांति के नाम से जाना जाएगा। इस राशि परिवर्तन का प्रभाव सभी राशियों पर सकारात्मक और नकारात्मक रूप से पड़ेगा। बता दें कि कुंभ संक्रांति के दिन संगम तट पर कुंभ मेले का भी आयोजन किया जाता है और इसलिए इस दिन स्नान-दान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि कुंभ संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने से और सूर्य देव की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। आइए जानते हैं कुंभ संक्रांति के दिन निकाल का मुहूर्त और पूजा विधि।हिंदू पंचांग के अनुसार कुंभ संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 31 मिनट से सुबह 05 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। इस दिन पुण्यकाल सुबह 07 बजकर 08 मिनट से सुबह 09 बजकर 57 मिनट तक रहेगा और महापुण्यकाल सुबह 08 बजकर 02 मिनट से सुबह 09 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। माना जाता है इस अवधि में स्नान-दान और पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

कुंभ संक्रांति पूजा विधि (Kumbh Sankranti 2023 Puja Vidhi)

शास्त्रों में बताया गया है कि कुंभ संक्रांति के गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इसलिए इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करना चाहिए। ऐसा यदि संभव नहीं है तो घर पर ही पानी में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद एक शुद्ध लौटे में गंगाजल, तिल, अक्षत और पुष्प मिलाकार सूर्य देव को अर्घ्य प्रदान करें। ऐसा करने के बाद आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें और सूर्य देव के मंत्रों का जाप करें। इस दिन दान का भी विशेष महत्त्व है। इसलिए ब्राह्मण, जरूरतमंद और गरीबों को सामर्थ्य अनुसर अन्न, धन या वस्त्र का दान आवश्यक करें।

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